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कुरआन मजीद

Quran in Hindi

47. सुरह मुहम्मद – 1-38

सूरह मुहम्मद के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मनी है, इस में 38 आयतें हैं।

  • इस सूरह की आयत 27 में नबी (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का नाम आया है। जिस के कारण इस का नाम सूरह मुहम्मद है। इस का एक दूसरा नाम ((किताल)) भी है जो इस की आयत 20 से लिया गया है।
  • इस में बताया गया है कि काफिरों तथा ईमान वालों की कार्य प्रणाली विभिन्न है। इसलिये उन के साथ अल्लाह का व्यवहार भी अलग-अलग होगा। वह काफिरों के कर्म असफल कर देगा। और ईमान वालों की दशा सुधार देगा।
  • इस में आयत 4 से 15 तक ईमान वालों को युद्ध के संबन्ध में निर्देश दिये गये हैं। और परलोक के उत्तम फल की शुभसूचना दी गयी है।
  • आयत 16 से 32 तक मुनाफिकों कि दशा बतायी गयी है जो जिहाद के डर से काफिरों से मिल कर षड्यंत्र रचते थे।
  • इस की आयत 33 से 38 तक साधारण मुसलमानों को जिहाद करने तथा अल्लाह की राह में दान करने की प्रेरणा दी गयी है।

सुरह मुहम्मद | Surah Muhammad in Hindi

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

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الَّذِينَ كَفَرُوا وَصَدُّوا عَن سَبِيلِ اللَّهِ أَضَلَّ أَعْمَالَهُمْ ﴾ 1 ﴿

Transliteration

अल्लज़ी – न क – फ़रू व सट्टू अ़न् सबीलिल्लाहि अज़ल्-ल अअ्मालहुम्

हिंदी अनुवाद

जिन लोगों ने कुफ़्र (अविश्वास) किया तथा अल्लाह की राह से रोका, (अल्लाह ने) व्यर्थ (निष्फल) कर दिया उनके कर्मों को।

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وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَآمَنُوا بِمَا نُزِّلَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَهُوَ الْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ ۙ كَفَّرَ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَأَصْلَحَ بَالَهُمْ ‎ ﴾ 2 ﴿

Transliteration

वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्- सालिहाति व आमनू बिमा नुज़्ज़ि -ल अ़ला मुहम्मदिंव्-व हुवल्-हक़्क़ु मिर्रब्बि-हिम् कफ़्फ़-र अ़न्हुम् सय्यिआतिहिम् व अस्ल-ह बालहुम्

हिंदी अनुवाद

तथा जो ईमान लाये और सदाचार किये तथा उस (क़ुर्आन) पर ईमान लाये, जो उतारा गया है मुह़म्मद पर और (दरअसल) वह सच है उनके पालनहार की ओर से, तो दूर कर दिया उनसे, उनके पापों को तथा सुधार दिया उनकी दशा को।

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ذَٰلِكَ بِأَنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَأَنَّ الَّذِينَ آمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِن رَّبِّهِمْ ۚ كَذَٰلِكَ يَضْرِبُ اللَّهُ لِلنَّاسِ أَمْثَالَهُمْ ﴾ 3 ﴿

Transliteration

ज़ालि-क बिअन्नल्लज़ी न क फ़रुत्त-बअुल्- बाति-ल व अन्नल्लज़ी-न आमनुत्-ब- अुल्-हक़्-क़ मिर्-रब्बिहिम्, कज़ालि-क यज़्रिबुल्लाहु लिन्नासि अम्सालहुम्

हिंदी अनुवाद

ये इस कारण कि उन्होंने कुफ़्र किया और चले असत्य पर तथा जो ईमान लाये, वे चले सत्य पर अपने पालनहार की ओर से (आये हुए), इसी प्रकार, अल्लाह बता देता है लोगों को, उनकी सही दशायें।[1] 1. यह सूरह बद्र के युध्द से पहले उतरी। जिस में मक्का के काफ़िरों के आक्रमण से अपने धर्म और प्राण तथा मान-मर्यादा की रक्षा के लिये युध्द करने की प्रेरणा तथा साहस और आवश्यक निर्देश दिये गये हैं।

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فَإِذَا لَقِيتُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا فَضَرْبَ الرِّقَابِ حَتَّىٰ إِذَا أَثْخَنتُمُوهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ فَإِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَإِمَّا فِدَاءً حَتَّىٰ تَضَعَ الْحَرْبُ أَوْزَارَهَا ۚ ذَٰلِكَ وَلَوْ يَشَاءُ اللَّهُ لَانتَصَرَ مِنْهُمْ وَلَٰكِن لِّيَبْلُوَ بَعْضَكُم بِبَعْضٍ ۗ وَالَّذِينَ قُتِلُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَلَن يُضِلَّ أَعْمَالَهُمْ ﴾ 4 ﴿

Transliteration

फ-इज़ा लक़ीतुमुल्लज़ी-न क-फ़रू फ़ज़र्बर्रिक़ाबि, हत्ता इज़ा अस्ख़न्तुमूहुम् फ़शुद्-दुल् – वसा-क़ फ़-इम्मा मन्नम्-बअ्दु व इम्मा फ़िदा अन् हत्ता त-ज़अ़ल्- हर्बु औज़ा रहा, ज़ालि – क, व लौ यशा-उल्लाहु लन्त-स-र मिन्हुम् व लाकिल्-लियब्लु-व बअ्-ज़कुम् बिबअ्ज़िन्, वल्लज़ी-न क़ुतिलू फ़ी सबीलिल्लाहि फ़-लंय्युज़िल्-ल अअ्मालहुम्

हिंदी अनुवाद

तो जब (युध्द में) भिड़ जाओ काफ़िरों से, तो गर्दन उड़ाओ, यहाँ तक कि जब कुचल दो उन्हें, तो उन्हें दृढ़ता से बाँधो। फिर उसके बाद या तो उपकार करके छोड़ दो या अर्थदण्ड लेकर। यहाँ तक कि युध्द अपने हथियार रख दे।[1] ये आदेश है और यदि अल्लाह चाहता, तो स्वयं उनसे बदला ले लेता। किन्तु, (ये आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे द्वारा परीक्षा ले और जो मार दिये गये अल्लाह की राह में, तो वह कदापि व्यर्थ नहीं करेगा उनके कर्मों को। 1. इस्लाम से पहले युध्द के बंदियों को दास बना लिया जाता था किन्तु इस्लाम उन्हें उपकार कर के या अर्थ दणड ले कर मुक्त करने का आदेश देता है। इस आयत में यह संकेत हैं कि इस्लाम जिहाद की अनुमति दूसरों के आक्रमण से रक्षा के लिये देता है।

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سَيَهْدِيهِمْ وَيُصْلِحُ بَالَهُمْ ﴾ 5 ﴿

Transliteration

स-यह्दीहिम् व युस्लिहु बालहुम

हिंदी अनुवाद

वह उन्हें मार्गदर्शन देगा तथा सुधार देगा उनकी दशा।

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وَيُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ﴾ 6 ﴿

Transliteration

व युद्ख़िलुहुमुल्-जन्न-त अ़र्र-फ़हा लहुम्

हिंदी अनुवाद

और प्रवेश करायेगा उन्हें स्वर्ग में, जिसकी पहचान दे चुका है उन्हें।

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يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِن تَنصُرُوا اللَّهَ يَنصُرْكُمْ وَيُثَبِّتْ أَقْدَامَكُمْ ﴾ 7 ﴿

Transliteration

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू इन् तन्सुरुल्ला-ह यन्सुर्कुम् व युसब्बित् अक़्दामकुम्

हिंदी अनुवाद

हे ईमान वालो! यदि तुम सहायता करोगे अल्लाह (के धर्म) की, तो वह सहायता करेगा तुम्हारी तथा दृढ़ (स्थिर) कर देगा तुम्हारे पैरों को।

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وَالَّذِينَ كَفَرُوا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَأَضَلَّ أَعْمَالَهُمْ ‎ ﴾ 8 ﴿

Transliteration

वल्लज़ी-न क-फ़रू फ़-तअ्सल्-लहुम् व अज़ल्-ल अअ्मालहुम

हिंदी अनुवाद

और जो काफ़िर हो गये, तो विनाश है उन्हीं के लिए और उसने व्यर्थ कर दिया उनके कर्मों को।

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ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ كَرِهُوا مَا أَنزَلَ اللَّهُ فَأَحْبَطَ أَعْمَالَهُمْ ‎ ﴾ 9 ﴿

Transliteration

ज़ालि-क बिअन्नहुम् करिहू मा अन्ज़लल्लाहु फ़-अह्ब-त अअ्मालहुम

हिंदी अनुवाद

ये इसलिए कि उन्होंने बुरा माना उसे, जो अल्लाह ने उतारा और उसने उनके कर्म व्यर्थ कर[1] दिये। 1. इस में इस ओर संकेत है कि बिना ईमान के अल्लाह के हाँ कोई सत्कर्म मान्य नहीं है।

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أَفَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ دَمَّرَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ ۖ وَلِلْكَافِرِينَ أَمْثَالُهَا ﴾ 10 ﴿

Transliteration

अ-फ़ लम् यसीरू फ़िल्अर्ज़ि फयन्ज़ुरू कै-फ़ का न आ़क़ि-बतुल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिहिम्, दम्म-रल्लाहु अ़लैहिम् व लिल्काफ़िरी-न अम्सालुहा

हिंदी अनुवाद

तो क्या वह चले-फिरे नहीं धरती में कि देखते उन लोगों का परिणाम, जो इनसे पहले गुजरे? विनाश कर दिया अल्लाह ने उनका तथा काफ़िरों के लिए इसी के समान (यातनायें) हैं।

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ذَٰلِكَ بِأَنَّ اللَّهَ مَوْلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَأَنَّ الْكَافِرِينَ لَا مَوْلَىٰ لَهُمْ ﴾ 11 ﴿

Transliteration

ज़ालि-क बि-अन्नल्ला-ह मौलल्लज़ी-न आमनू व अन्नल्-काफ़िरी-न ला मौला लहुम

हिंदी अनुवाद

ये इसलिए कि अल्लाह संरक्षक (सहायक) है उनका, जो ईमान लाये और काफ़िरों का कोई संरक्षक (सहायक)[1] नहीं। 1. उह़ुद के युध्द में जब काफ़िरों ने कहा कि हमारे पास उज़्ज़ा (देवी) है, और तुम्हारे पास उज़्ज़ा नहीं। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा। उन का उत्तर इसी आयत से दो। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4043)

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إِنَّ اللَّهَ يُدْخِلُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۖ وَالَّذِينَ كَفَرُوا يَتَمَتَّعُونَ وَيَأْكُلُونَ كَمَا تَأْكُلُ الْأَنْعَامُ وَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ ﴾ 12 ﴿

Transliteration

इन्नल्ला-ह युद्ख़िलुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति जन्नातिन् तज्-री मिन् तह्तिहल्- अन्हारु, वल्लज़ी-न क-फ़रू य-तमत्तअू-न व यअ्कुलू-न कमा तअ्कुलुल्-अन्आ़मु वन्नारु मस्वल्-लहुम

हिंदी अनुवाद

निःसंदेह अल्लाह प्रवेश देगा उन्हें, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, ऐसे स्वर्गों में, जिनमें नहरें बहती होंगी तथा जो काफ़िर हो गये, वे आनन्द लेते तथा खाते हैं, जैसे[1] पशु खाते हैं और अग्नि उनका आवास (स्थान) है। 1. अर्थात परलोक से निश्चिन्त संसारिक जीवन ही को सब कुछ समझते हैं।

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وَكَأَيِّن مِّن قَرْيَةٍ هِيَ أَشَدُّ قُوَّةً مِّن قَرْيَتِكَ الَّتِي أَخْرَجَتْكَ أَهْلَكْنَاهُمْ فَلَا نَاصِرَ لَهُمْ ‎ ﴾ 13 ﴿

Transliteration

व क- अय्यिम् मिन् क़र्-यतिन् हि-य अशद्-दु क़ुव्वतम्-मिन् क़र्-यतिकल्लती अख़्र-जत्-क अह्लक्नाहुम् फ़ला नासि-र लहुम

हिंदी अनुवाद

तथा बहुत-सी बस्तियों को, जो अधिक शक्तिशाली थीं आपकी उस बस्ती से, जिसने आपको निकाल दिया, हमने ध्वस्त कर दिया, तो कोई सहायक न हुआ उनका।

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‏ أَفَمَن كَانَ عَلَىٰ بَيِّنَةٍ مِّن رَّبِّهِ كَمَن زُيِّنَ لَهُ سُوءُ عَمَلِهِ وَاتَّبَعُوا أَهْوَاءَهُم ﴾ 14 ﴿

Transliteration

अ-फ़ मन् का-न अ़ला बय्यि-नतिम् मिर्रब्बिही क- मन् ज़ुय्यि-न लहू सू-उ अ़-मलिही वत्त-बअू अह्वा- अहुम

हिंदी अनुवाद

तो क्या, जो अपने पालनहार के खुले प्रमाण पर हो, वह उसके समान हो सकता है, शोभनीय बना दिया गया हो, जिसके लिए उसका दुष्कर्म तथा चलता हो अपनी मनमानी पर?

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مَّثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِي وُعِدَ الْمُتَّقُونَ ۖ فِيهَا أَنْهَارٌ مِّن مَّاءٍ غَيْرِ آسِنٍ وَأَنْهَارٌ مِّن لَّبَنٍ لَّمْ يَتَغَيَّرْ طَعْمُهُ وَأَنْهَارٌ مِّنْ خَمْرٍ لَّذَّةٍ لِّلشَّارِبِينَ وَأَنْهَارٌ مِّنْ عَسَلٍ مُّصَفًّى ۖ وَلَهُمْ فِيهَا مِن كُلِّ الثَّمَرَاتِ وَمَغْفِرَةٌ مِّن رَّبِّهِمْ ۖ كَمَنْ هُوَ خَالِدٌ فِي النَّارِ وَسُقُوا مَاءً حَمِيمًا فَقَطَّعَ أَمْعَاءَهُمْ ﴾ 15 ﴿

Transliteration

म-सलुल्-जन्नतिल्लति वुअिदल्- मुत्तक़ू-न, फ़ीहा अन्हारुम् – मिम्मा-इन् ग़ैरि आसिनिन् व अन्हारुम् मिल्- ल-बनिल्- लम् य-तग़य्यर् तअ्मुहू व अन्हारुम्-मिन् ख़म्रिल् लज़्ज़तिल् – लिश्शारिबी-न व अन्हारुम् – मिन् अ़-सलिम् मुसफ्फ़न्, व लहुम् फ़ीहा मिन् कुल्लिस्स-मराति व मग़्फ़ि-रतुम् मिर्रब्बिहिम्, क- मन् हु-व ख़ालिदुन् फ़िन्नारि व सुक़ू मा-अन् हमीमन् फ़- क़त्त-अ़ अम्आ़-अहुम

हिंदी अनुवाद

उस स्वर्ग की विशेषता, जिसका वचन दिया गया है आज्ञाकारियों को, उसमें नहरें हैं निर्मल जल की तथा नहरें हैं दूध की, नहीं बदलेगा जिसका स्वाद तथा नहरें हैं मदिरा की, पीने वालों के स्वाद के लिए तथा नहरें हैं मधू की स्वच्छ तथा उन्हीं के लिए उनमें प्रत्येक प्रकार के फल हैं तथा उनके पालनहार की ओर से क्षमा। (क्या ये) उसके समान होंगे, जो सदावासी होंगे नरक में तथा पिलाये जायेंग खौलता जल, जो खण्ड-खण्ड कर देगा उनकी आँतों को?

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وَمِنْهُم مَّن يَسْتَمِعُ إِلَيْكَ حَتَّىٰ إِذَا خَرَجُوا مِنْ عِندِكَ قَالُوا لِلَّذِينَ أُوتُوا الْعِلْمَ مَاذَا قَالَ آنِفًا ۚ أُولَٰئِكَ الَّذِينَ طَبَعَ اللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ وَاتَّبَعُوا أَهْوَاءَهُمْ ‎ ﴾ 16 ﴿

Transliteration

व मिन्हुम् मंय्यस्तमिअु इलै-क हत्ता इज़ा ख़-रजू मिन् अिन्दि-क क़ालू लिल्लज़ी न ऊतुल् – अिल्-म माज़ा क़ा- ल आनिफन्, उलाइ-कल्लज़ी-न त-बअ़ल्लाहु अ़ला क़ुलूबिहिम् वत्त-बअू अह्वा-अहुम

हिंदी अनुवाद

तथा उनमें से कुछ वो हैं, जो कान धरते हैं आपकी ओर यहाँ तक कि जब निकलते हैं आपके पास से, तो कहते हैं उनसे, जिन्हें ज्ञान दिया गया है कि अभी क्या[1] कहा है? यही वो हैं कि मुहर लगा दी है अल्लाह ने उनके दिलों पर और वही चल रहे हैं अपनी मनोकांक्षाओं पर। 1. यह कुछ मुनाफ़िक़ों की दशा का वर्णन है जिन को आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बातें नहीं समझ में नहीं आती थीं। क्यों कि वे आप की बातें दिल लगा कर नहीं सुनते थे। तथा आप की बातों का इस प्रकार उपहास करते थे।

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وَالَّذِينَ اهْتَدَوْا زَادَهُمْ هُدًى وَآتَاهُمْ تَقْوَاهُمْ ﴾ 17 ﴿

Transliteration

वल्लज़ीनह्-तदौ ज़ा-दहुम् हुदंव् व आताहुम् तक़्वाहुम

हिंदी अनुवाद

और जो सीधी राह पर हैं, अल्लाह ने अधिक कर दिया है उन्हें, मार्गदर्शन में और प्रदान किया है उन्हें, उनका सदाचार।

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‏ فَهَلْ يَنظُرُونَ إِلَّا السَّاعَةَ أَن تَأْتِيَهُم بَغْتَةً ۖ فَقَدْ جَاءَ أَشْرَاطُهَا ۚ فَأَنَّىٰ لَهُمْ إِذَا جَاءَتْهُمْ ذِكْرَاهُمْ ‎ ﴾ 18 ﴿

Transliteration

फ़-हल् यन्ज़ुरू – न इल्लस्- सा-अ़-त अन् तअ्ति -यहुम् बग़् -ततन् फ़-क़द् जा अ अश्रातुहा फ़-अन्ना लहुम् इज़ा जा-अत्हुम् ज़िक्राहुम

हिंदी अनुवाद

तो क्या वे प्रतीक्षा कर रहे हैं प्रलय ही की कि आ जाये उनके पास सहसा? तो आ चुके हैं उसके लक्षण।[1] फिर कहाँ होगा उनके शिक्षा लेने का समय, जब वह (क़्यामत) आ जायेगी उनके पास? 1. आयत में कहा गया है कि प्रलय के लक्षण आ चुके हैं। और उन में सब से बड़ा लक्षण आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का आगमन है। जैसा कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन है कि आप ने फ़रमायाः "मेरा आगमन तथा प्रलय इन दो उंग्लियों के समान है।" (सह़ीह़ बुख़ारीः 4936) अर्थात बहुत समीप है। जिस का अर्थ यह है कि जिस प्रकार दो उंग्लियों के बीच कोई तीसरी उंगली नहीं इसी प्रकार मेरे और प्रलय के बीच कोई नबी नहीं। मेरे आगमन के पश्चात् अब प्रलय ही आयेगी।

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فَاعْلَمْ أَنَّهُ لَا إِلَٰهَ إِلَّا اللَّهُ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنبِكَ وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ ۗ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مُتَقَلَّبَكُمْ وَمَثْوَاكُمْ ﴾ 19 ﴿

Transliteration

फ़अ्लम् अन्नहू ला इला-ह इल्लल्लाहु वस्तग़्फ़िर् लि-ज़म्बि-क व लिल्-मुअ्मिनी-न वल्-मुअ्मिनाति, वल्लाहु यअ्लमु मु-तक़ल्ल-बकुम् व मस्वाकुम्

हिंदी अनुवाद

तो (हे नबी!) आप विश्वास रखिये कि नहीं है कोई वंदनीय अल्लाह के सिवा तथा क्षमा[1] माँगिये अपने पाप के लिए तथा ईमान वाले पुरुषों और स्त्रियों के लिए और अल्लाह जानता है तुम्हारे फिरने तथा रहने के स्थान को। 1. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः मैं दिन में सत्तर बार से अधिक अल्लाह से क्षमा माँगता तथा तौबा करता हूँ। (बुख़ारीः 6307) और फ़रमाया कि लोगो! अल्लाह से क्षमा माँगो। मैं दिन में सौ बार क्षमा माँगता हूँ। (सह़ीह़ मुस्लिमः 2702)

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وَيَقُولُ الَّذِينَ آمَنُوا لَوْلَا نُزِّلَتْ سُورَةٌ ۖ فَإِذَا أُنزِلَتْ سُورَةٌ مُّحْكَمَةٌ وَذُكِرَ فِيهَا الْقِتَالُ ۙ رَأَيْتَ الَّذِينَ فِي قُلُوبِهِم مَّرَضٌ يَنظُرُونَ إِلَيْكَ نَظَرَ الْمَغْشِيِّ عَلَيْهِ مِنَ الْمَوْتِ ۖ فَأَوْلَىٰ لَهُمْ ﴾ 20 ﴿

Transliteration

व यक़ूलुल्लज़ी-न आमनू लौ ला नुज़्ज़िलत् सू-रतुन् फ़-इज़ा उन्ज़िलत् सू-रतुम् मुह्क-मतुंव्-व ज़ुकि-र फ़ीहल्- क़ितालु रऐतल्लज़ी न फ़ी क़ुलूबिहिम् म-रजुंय्-यन्ज़ुरू- न इलै-क न-ज़रल्-मग़्शिय्यि अ़लैहि मिनल्-मौति, फ़-औला लहुम

हिंदी अनुवाद

तथा जो ईमान लाये, उन्होंने कहा कि क्यों नहीं उतारी जाती कोई सूरह (जिसमें युध्द का आदेश हो?) तो जब एक दृढ़ सूरह उतार दी गयी तथा उसमें वर्णन कर दिया गया युध्द का, तो आपने उन्हें देख लिया, जिनके दिलों में रोग (द्विधा) है कि वे आपकी ओर उसके समान देख रहे हैं, जो मौत के समय अचेत पड़ा हुआ हो। तो उनके लिए उत्तम है।

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طَاعَةٌ وَقَوْلٌ مَّعْرُوفٌ ۚ فَإِذَا عَزَمَ الْأَمْرُ فَلَوْ صَدَقُوا اللَّهَ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ ﴾ 21 ﴿

Transliteration

ता-अ़तुंव्-व क़ौलुम्-मअ्-रूफ़ुन्, फ़-इज़ा अ़-ज़मल्- अम्-रू फ़लौ स-दक़ुल्ला-ह लका-न ख़ैरल्-लहुम

हिंदी अनुवाद

आज्ञा पालन तथा उचित बात बोलना। तो जब (युध्द का) आदेश निर्धारित हो गया, तो यदि वे अल्लाह के साथ सच्चे रहें, तो उनके लिए उत्तम है।

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فَهَلْ عَسَيْتُمْ إِن تَوَلَّيْتُمْ أَن تُفْسِدُوا فِي الْأَرْضِ وَتُقَطِّعُوا أَرْحَامَكُمْ ‎ ﴾ 22 ﴿

Transliteration

फ़-हल् अ़सैतुम् इन् तवल्लैतुम् अन् तुफ़्सिदू फ़िल्अर्ज़ि व तुक़त्तिअू अर्-हा-मकुम

हिंदी अनुवाद

फिर यदि तुम विमुख[1] हो गये, तो दूर नहीं कि तुम उपद्रव करोगे धरती में तथा तोड़ेगे अपने रिश्तों (संबंधों) को। 1. अर्थात अल्लाह तथा रसूल की आज्ञा का पालन करने से। इस आयत में संकेत है कि धरती में उपद्रव, तथा रक्तपात का कारण अल्लाह तथा उस के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की आज्ञा से विमुख होने का परिणाम है। ह़दीस में है कि जो रिश्ते (संबंध) को जोड़ेगा तो अल्लाह उस को (अपनी दया से) जोड़ेगा। और जो तोड़ेगा तो उसे (अपनी दया से) दूर करेगा। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4820)

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أُولَٰئِكَ الَّذِينَ لَعَنَهُمُ اللَّهُ فَأَصَمَّهُمْ وَأَعْمَىٰ أَبْصَارَهُمْ ﴾ 23 ﴿

Transliteration

उलाइ-कल्लज़ी-न ल-अ़-नहुमुल्लाहु फ़-असम्म हुम् व अअ्मा अब्सा रहुम

हिंदी अनुवाद

यही हैं, जिन्हें अपनी दया से दूर कर दिया है अल्लाह ने और उन्हें बहरा तथा उनकी आँखें अंधी कर दी हैं।[1] 1. अतः वे न तो सत्य को देख सकते हैं और न ही सुन सकते हैं।

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أَفَلَا يَتَدَبَّرُونَ الْقُرْآنَ أَمْ عَلَىٰ قُلُوبٍ أَقْفَالُهَا ﴾ 24 ﴿

Transliteration

अ-फ़ला य-तदब्बरूनल-क़ुर्आ-न अम् अ़ला कुलूबिन् अक़्फ़ालुहा

हिंदी अनुवाद

तो क्या लोग सोच-विचार नहीं करते या उनके दिलों पर ताले लगे हुए हैं?

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إِنَّ الَّذِينَ ارْتَدُّوا عَلَىٰ أَدْبَارِهِم مِّن بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْهُدَى ۙ الشَّيْطَانُ سَوَّلَ لَهُمْ وَأَمْلَىٰ لَهُمْ ﴾ 25 ﴿

Transliteration

इन्नल्- लज़ीनर्तद् दू अ़ला अद्बारिहिम् मिम्बअ्दि मा तबय्य-न लहुमुल्-हुदश्शैतानु सव्व-ल लहुम्, व अम्ला लहुम

हिंदी अनुवाद

वास्तव में, जो फिर गये पीछे इसके पश्चात् कि उजागर हो गया उनके लिए मार्गदर्शन, तो शौतान ने सुन्दर बना दिया (पापों को) उनके लिए तथा उन्हें बड़ी आशा दिलायी है।

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ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَالُوا لِلَّذِينَ كَرِهُوا مَا نَزَّلَ اللَّهُ سَنُطِيعُكُمْ فِي بَعْضِ الْأَمْرِ ۖ وَاللَّهُ يَعْلَمُ إِسْرَارَهُمْ ﴾ 26 ﴿

Transliteration

ज़ालि क बि- अन्नहुम् क़ालू लिल्लज़ी न करिहू मा नज़्ज़-लल्लाहु सनुती अुकुम् फ़ी बअ्ज़िल-अम्रि वल्लाहु यअ्लमु इस्रा-रहुम

हिंदी अनुवाद

ये इस कारण हुआ कि उन्होंने कहा उनसे, जिन्होंने बुरा माना उस (क़ुर्आन) को, जिसे उतारा अल्लाह ने कि हम तुम्हारी बात मानेंगे कुछ कार्य में, जबकि अल्लाह जानता है उनकी गुप्त बातों को।

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فَكَيْفَ إِذَا تَوَفَّتْهُمُ الْمَلَائِكَةُ يَضْرِبُونَ وُجُوهَهُمْ وَأَدْبَارَهُمْ ﴾ 27 ﴿

Transliteration

फ़कै-फ इज़ा तवफ़्फ़त्हुमुल्-मलाइ-कतु यज़िरबू-न वुजू-हहुम् व अद्बारहुम

हिंदी अनुवाद

तो कैसी दुर्गत होगी उनकी जब प्राण निकाल रहे होंगे फ़रिश्ते मारते हुए उनके मुखों तथा उनकी पीठों पर।

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ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمُ اتَّبَعُوا مَا أَسْخَطَ اللَّهَ وَكَرِهُوا رِضْوَانَهُ فَأَحْبَطَ أَعْمَالَهُمْ ﴾ 28 ﴿

Transliteration

ज़ालि-क बिअन्नहुमुत्त-बअू मा अस्ख़तल्ला-ह व करिहू रिज़् वानहू फ़-अह्ब त अअ्मालहुम

हिंदी अनुवाद

ये इसलिए कि वे चले उस राह पर, जिसने अप्रसन्न कर दिया अल्लाह को तथा उन्होंने बुरा माना उसकी प्रसन्नता को, तो उसने व्यर्थ कर दिया उनके कर्मों को।[1] 1. आयत में उन के दुष्परिणाम की ओर संकेत है जो इस्लाम के साथ उस के विरोधी नियमों और विधानों को मानते हैं। और युध्द के समय काफ़िरों का साथ देते हैं।

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أَمْ حَسِبَ الَّذِينَ فِي قُلُوبِهِم مَّرَضٌ أَن لَّن يُخْرِجَ اللَّهُ أَضْغَانَهُمْ ‎ ﴾ 29 ﴿

Transliteration

अम् हसिबल्लज़ी-न फ़ी क़ुलूबिहिम्-म- रज़ुन् अल्-लंय्युख़्रिजल्लाहु अज़्ग़ा -नहुम

हिंदी अनुवाद

क्या समझ रखा है उन्होंने, जिनके दिलों में रोग है कि नहीं खोलेगा अल्लाह उनके द्वेषों को?[1] 1. अर्थात जो द्वैष और बैर इस्लाम और मुसलमानों से रखते हैं उसे अल्लाह उजागर अवश्य कर के रहेगा।

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وَلَوْ نَشَاءُ لَأَرَيْنَاكَهُمْ فَلَعَرَفْتَهُم بِسِيمَاهُمْ ۚ وَلَتَعْرِفَنَّهُمْ فِي لَحْنِ الْقَوْلِ ۚ وَاللَّهُ يَعْلَمُ أَعْمَالَكُمْ ﴾ 30 ﴿

Transliteration

व लौ नशा-उ ल-अरैना- कहुम् फ़-ल-अ़रफ़्तहुम् बिसीमाहुम्, व ल-तअ्-रिफ़न्नहुम् फ़ी लह्निल्-क़ौलि, वल्लाहु यअ्लमु अअ्मालकुम

हिंदी अनुवाद

और (हे नबी!) यदि हम चाहें, तो दिखा दें आपको उन्हें, तो पहचान लेंगे आप उन्हें, उनके मुख से और आप अवश्य पहचान लेंगे उन्हें[1] (उनकी) बात के ढंग से तथा अल्लाह जानता है उनके कर्मों को। 1. अर्थात उन के बात करने की रीति से।

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وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتَّىٰ نَعْلَمَ الْمُجَاهِدِينَ مِنكُمْ وَالصَّابِرِينَ وَنَبْلُوَ أَخْبَارَكُمْ ‎ ﴾ 31 ﴿

Transliteration

व ल-नब्लुवन्नकुम् हत्ता नअ्-लमल्- मुजाहिदी- न मिन्कुम् वस्साबिरी-न व नब्लु-व अख़्बा-रकुम

हिंदी अनुवाद

और हम अवश्य परीक्षा लेंगे तुम्हारी, ताकि जाँच लें, तुममें से मुजाहिदों तथा धैर्यवानों को तथा जाँच लें तुम्हारी दशाओं को।

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إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا وَصَدُّوا عَن سَبِيلِ اللَّهِ وَشَاقُّوا الرَّسُولَ مِن بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْهُدَىٰ لَن يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا وَسَيُحْبِطُ أَعْمَالَهُمْ ﴾ 32 ﴿

Transliteration

इन्नल्लज़ी-न क-फ़रू व सद्दू अ़न् सबीलिल्लाहि व शाक़्क़ुर्रसू–ल मिम्बअ्दि मा तबय्य-न लहुमुल्-हुदा लंय्यजुर्रुल्ला-ह शैअन्, व स-युह्बितु अअ्मालहुम

हिंदी अनुवाद

जिन लोगों ने कुफ़्र किया और रोका अल्लाह की राह (धर्म) से तथा विरोध किया रसूल का, इसके पश्चात् कि उजागर हो गया उनके लिए मार्गदर्शन, वे कदापि हानि नहीं पहुँचा सकेंगे अल्लाह को कुछ तथा वह व्यर्थ कर देगा उनके कर्मों को।

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يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ وَلَا تُبْطِلُوا أَعْمَالَكُمْ ‎ ﴾ 33 ﴿

Transliteration

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अती अुल्ला-ह व अतीअुर्रसू-ल व ला तुब्तिलू अअ् मालकुम

हिंदी अनुवाद

हे लोगो, जो ईमान लाये हो! आज्ञा मानो अल्लाह की तथा आज्ञा मानो[1] रसूल की तथा व्यर्थ न करो अपने कर्मों को। 1. इस आयत में कहा गया है कि जिस प्रकार क़ुर्आन को मानना अनिवार्य है उसी प्रकार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत (ह़दीसों) का पालन करना भी अनिवार्य है। ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः मेरी उम्मत स्वर्ग में जायेगी उस के सिवा जिस ने इन्कार किया। कहा गया कि कौन इन्कार करेगा, हे अल्लाह के रसूल? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जिस ने मेरी आज्ञकारी की तो वह स्वर्ग में जायेगा। और जिस ने मेरी आज्ञाकारी नहीं की तो उस ने इन्कार किया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 7280)

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‏ إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا وَصَدُّوا عَن سَبِيلِ اللَّهِ ثُمَّ مَاتُوا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَن يَغْفِرَ اللَّهُ لَهُمْ ‎ ﴾ 34 ﴿

Transliteration

इन्नल्लज़ी-न क-फ़रू व सद्दू अ़न् सबीलिल्लाहि सुम्- म मातू व हुम् कुफ़्फ़ारून् फ़-लंयू- यग़्फिरल्लाहु लहुम

हिंदी अनुवाद

जिन लोगों ने कुफ़्र किया तथा रोका अल्लाह की राह से, फिर वे मर गये कुफ़्र की स्थिति में, तो कदापि क्षमा नहीं करेगा अल्लाह उनको।

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‏ فَلَا تَهِنُوا وَتَدْعُوا إِلَى السَّلْمِ وَأَنتُمُ الْأَعْلَوْنَ وَاللَّهُ مَعَكُمْ وَلَن يَتِرَكُمْ أَعْمَالَكُمْ ﴾ 35 ﴿

Transliteration

फ़ला तहिनू व तद्अू इलस्सल्मि व अन्तुमुल्-अअ्लौ-न वल्लाहु म अ़कुम् व लंय्यति रकुम् अअ्मालकुम

हिंदी अनुवाद

अतः, तुम निर्बल न बनो और न (शत्रु को) संधि की ओर[1] पुकारो तथा तुम ही उच्च रहने वाले हो और अल्लाह तुम्हारे साथ है और वह कदापि व्यर्थ नहीं करेगा तुम्हारे कर्मों को। 1. आयत का अर्थ यह नहीं कि इस्लाम संधि का विरोधी है। इस का अर्थ यह है कि ऐसी दशा में शत्रु से संधि न करो कि वह तुम्हें निर्बल समझने लगे। बल्कि अपनी शक्ति का लोहा मनवाने के पश्चात् संधि करो। ताकि वह तुम्हें निर्बल समझ कर जैसे चाहें संधि के लिये बाध्य न कर लें।

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إِنَّمَا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَلَهْوٌ ۚ وَإِن تُؤْمِنُوا وَتَتَّقُوا يُؤْتِكُمْ أُجُورَكُمْ وَلَا يَسْأَلْكُمْ أَمْوَالَكُمْ ‎ ﴾ 36 ﴿

Transliteration

इन्नमल्-हयातुद्-दुन्या लअिबुंव्-व लह्वुन्, व इन् तुअ्मिनू व तत्तक़ू युअ्तिक़ुम् उजू-रकुम् व ला यस्अल्कुम् अम्वालकुम

हिंदी अनुवाद

ये सांसारिक जीवन तो एक खेल-कूद है और यदि तुम ईमान लाओ और अल्लाह से डरते रहो, तो वह प्रदान करेगा तुम्हें तुम्हारा प्रतिफल और नहीं माँग करेगा तुमसे तुम्हारे धनों की।

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إِن يَسْأَلْكُمُوهَا فَيُحْفِكُمْ تَبْخَلُوا وَيُخْرِجْ أَضْغَانَكُمْ ﴾ 37 ﴿

Transliteration

इंय्यस्अल्कुमूहा फ़-युह्फिकुम् तब्ख़लू व युख़्रिज् अज़्गा-नकुम

हिंदी अनुवाद

और यदि वह तुमसे माँगे और तुम्हारा पूरा धन माँगे, तो तुम कंजूसी करने लगोगे और वह खोल[1] देगा तुम्हारे द्वेषों को। 1. अर्थात तुम्हारा पूरा धन माँगे तो यह स्वाभाविक है कि तुम कंजूसी कर के दोषी बन जाओगे। इस लिये इस्लाम ने केवल ज़कात अनिवार्य की है। जो कुल धन का ढाई प्रतिशत है।

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هَا أَنتُمْ هَٰؤُلَاءِ تُدْعَوْنَ لِتُنفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَمِنكُم مَّن يَبْخَلُ ۖ وَمَن يَبْخَلْ فَإِنَّمَا يَبْخَلُ عَن نَّفْسِهِ ۚ وَاللَّهُ الْغَنِيُّ وَأَنتُمُ الْفُقَرَاءُ ۚ وَإِن تَتَوَلَّوْا يَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْ ثُمَّ لَا يَكُونُوا أَمْثَالَكُم ﴾ 38 ﴿

Transliteration

हा-अन्तुम् हा-उला-इ तुद्औ़-न लितुन्फ़िक़ू फ़ी सबीलिल्लाहि फ़मिन्कुम् मंय्यब्ख़लु व मंय्यब्ख़ल् फ़-इन्नमा यब्ख़लु अ़न्-नफ़्सिही, वल्लाहुल-ग़निय्यु व अन्तुमुल्-फ़ु-क़रा-उ व इन् त-तवल्लौ यस्तब्दिल् क़ौमन् ग़ैरक़ुम् सुम्-म ला यकूनू अम्सालकुम

हिंदी अनुवाद

सुनो! तुम लोग हो, जिन्हें बुलाया जा रहा है, ताकि दान करो अल्लाह की राह में, तो तुममें से कुछ कंजूसी करने लगते हैं और जो कंजूसी करता[1] है, तो वह अपने आप ही से कंजूसी करता है और अल्लाह धनी है तथा तुम निर्धन हो और यदि तुम मूँह फेरोगे, तो वह तुम्हारे स्थान पर दूसरों को ले आयेगा फिर वे नहीं होंगे तुम्हारे जैसे।[1] 1. अर्थात कंजूसी कर के अपने ही को हानि पहुँचाता है। 2. तो कंजूस नहीं होंगे। (देखियेः सूरह माइदा, आयतः 54)

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