सूरह ज़िलज़ाल के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मदनी है, इस में 8 आयतें हैं।
- इस में प्रलय के दिन के भूकम्प की चर्चा हुई है जो ((ज़िलज़ाल)) का अर्थ है। इस लिये इस का यह नाम रखा गया है।[1]
- इस की आयत 1 से 3 तक में धरती की उस दशा की चर्चा है जो प्रलय के दिन होगी और जिसे देख कर मनुष्य चकित रह जायेगा।
- आयत 4 से 5 तक में यह बताया गया है कि उस दिन धरती बोलेगी और अपनी कथा सुनायेगी कि मनुष्य उस के ऊपर रह कर क्या करता रहा है। जो उस की ओर से मनुष्य के कर्मों पर गवाही होगी।
- आयत 6 से 8 तक में बताया गया है कि उस दिन लोग विभिन्न गिरोहों में हो कर अपने कर्मों को देखने के लिये निकल पड़ेंगे और प्रत्येक की छोटी बड़ी अच्छाई और बुराई उस के सामने आ जायेगी।
सूरह जलजला | Surah Jiljal in Hindi
بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
إِذَا زُلْزِلَتِ الْأَرْضُ زِلْزَالَهَا ﴾ 1 ﴿
इज़ा ज़ुल ज़िलतिल अरजु ज़िल ज़ा लहा
जब धरती को पूरी तरह झंझोड़ दिया जायेगा।
وَأَخْرَجَتِ الْأَرْضُ أَثْقَالَهَا ﴾ 2 ﴿
व अख रजातिल अरजु अस्कालहा
तथा भूमि अपने बोझ बाहर निकाल देगी।
وَقَالَ الْإِنسَانُ مَا لَهَا ﴾ 3 ﴿
वक़ालल इंसानु मा लहा
और इन्सान कहेगा कि इसे क्या हो गया?
يَوْمَئِذٍ تُحَدِّثُ أَخْبَارَهَا ﴾ 4 ﴿
यव मइजिन तुहद्दिसु अख़बा रहा
उस दिन वह अपनी सभी सूचनायें वर्णन कर देगी।
بِأَنَّ رَبَّكَ أَوْحَىٰ لَهَا ﴾ 5 ﴿
बि अन्ना रब्बका अव्हा लहा
क्योंकि तेरे पालनहार ने उसे यही आदेश दिया है।
يَوْمَئِذٍ يَصْدُرُ النَّاسُ أَشْتَاتًا لِّيُرَوْا أَعْمَالَهُمْ ﴾ 6 ﴿
यव मइजिय यस दुरून नासु अश्तातल लियुरव अअ’ मालहुम
उस दिन लोग तितर-बितर होकर आयेंगे, ताकि वे अपने कर्मों को देख लें।[1] 1. (1-6) इन आयतों में बताया गया है कि जब प्रलय (क्यामत) का भूकम्प आयेगा तो धरती के भीतर जो कुछ भी है, सब उगल कर बाहर फेंक देगी। यह सब कुछ ऐसे होगा कि जीवित होने के पश्चात् सभी को आश्चर्य होगा कि यह क्या हो रहा है? उस दिन यह निर्जीव धरती प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों की गवाही देगी कि किस ने क्या क्या कर्म किये हैं। यद्पि अल्लाह सब के कर्मों को जानता है फिर भी उस का निर्णय गवाहियों से प्रमाणित कर के होगा।
فَمَن يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَيْرًا يَرَهُ ﴾ 7 ﴿
फमय यअ’मल मिस्काला ज़र रतिन खैयररैं यरह
तो जिसने एक कण के बराबर भी पुण्य किया होगा, उसे देख लेगा।
وَمَن يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا يَرَهُ ﴾ 8 ﴿
वमै यअ’मल मिस्काला ज़र्रतिन शररैं यरह
और जिसने एक कण के बराबर भी बुरा किया होगा, उसे देख लेगा।[1] 1. (7-8) इन आयतों का अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अकेला आयेगा, परिवार और साथी सब बिखर जायेंगे। दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि इस संसार में जो किसी भी युग में मरे थे सभी दलों में चले आ रहे होंगे, और सब को अपने किये हुये कर्म दिखाये जायेंगे। और कर्मानुसार पुण्य और पाप का बदला दिया जायेगा। और किसी का पुणय और पाप छिपा नहीं रहेगा।