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कुरआन मजीद

Quran in Hindi

65. सूरह अत-तलाक – 1-12

सूरह तलाक के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मदनी है, इस में 12 आयतें हैं।

  • इस सूरह में तलाक के नियम और आदेश बताये गये है। और मुसलमानों को चेतावनी दी गई है कि अल्लाह के आदेशों से मुँह न फेरें। और अवैज्ञाकारी जातियों के परिणाम को याद रखें। दूसरे शब्दों में इस्लाम के परिवारिक नियमों का पालन करें।
  • इद्दतः उस निश्चित अवधि का नाम है जिस के भीतर स्त्री के लिये तलाक या पति की मौत के पश्चात् दूसरे से विवाह करना अवैध और वर्जित होता है। तलाक के मूल नियम सूरह बकरा तथा सूरह अज़ाब में वर्णित हुये है। इस आयत में तलाक देने का समय बताया गया है कि तलाक ऐसे समय में दी जाये जब इद्दत का आरंभ हो सके। अर्थात मासिक धर्म की स्थिति में तलाक न दी जाये। और मासिक धर्म से पवित्र होने पर संभोग न किया गया हो तब तलाक दी जाये। इद्दत के समय से अभिप्राय यहाँ यही है। फिर यदि तलाक रजई दी हो तो निधर्धारित अवधि पूरी होने तक वह अपने पति के घर ही में रहेगी। परन्तु यदि व्यभिचार कर जाये तो उसे घर से निकाला जा सकता है। नई बात उत्पन्न करने का अर्थ यह है कि अवधि के भीतर पति अपनी पत्नी को वापिस कर ले जिसे रजत करना कहा जाता है। और यह बात रजई तलाक में ही होती है। अर्थात जब एक या दो तलाक ही दी हों। इस में यह संकेत भी है कि यदि पति तीन तलाक दे चुका हो जिस के पश्चात् पति को रज्ञ्जत का अधिकार नहीं होता तो पत्नी को भी उस के घर में रहने का अधिकार नहीं रह जाता। और न पति पर इस अवधि में उस के खाने कपड़े का भार होता है।

सूरह अत-तलाक | Surah Talaq in Hindi

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

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يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ إِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاءَ فَطَلِّقُوهُنَّ لِعِدَّتِهِنَّ وَأَحْصُوا الْعِدَّةَ ۖ وَاتَّقُوا اللَّهَ رَبَّكُمْ ۖ لَا تُخْرِجُوهُنَّ مِن بُيُوتِهِنَّ وَلَا يَخْرُجْنَ إِلَّا أَن يَأْتِينَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ ۚ وَتِلْكَ حُدُودُ اللَّهِ ۚ وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ اللَّهِ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهُ ۚ لَا تَدْرِي لَعَلَّ اللَّهَ يُحْدِثُ بَعْدَ ذَٰلِكَ أَمْرًا ﴾ 1 ﴿

Transliteration

या अय्युहन्नबिय्यु इज़ा तल्लक़्तुमुन्- निसा-अ फ़-तल्लिक़ूहुन्-न लिअिद्-दति- -हिन्-नव अह्सुल्- इद्-द-त वत्तक़ुल्ला-ह रब्बकुम् ला तुख़िरजूहुन्-न मिम्-बुयूतिहिन्-न व ला यख़रुज्-न इल्ला अंय्य अ्ती-न बिफ़ाहि-शतिम् मुबय्यि-नतिन्, व तिल्-क हुदूदुल्लाहि, व मंय्य-त-अ़द्-द हुदूदल्लाहि फ़- क़द् ज़-ल-म नफ़्सहू, ला तद्री लअल्लल्ला-ह युह्दिसु ब अ्-द ज़ालि-क अम्रा

हिंदी अनुवाद

हे नबी! जब तुम लोग त़लाक़ दो अपनी पत्नियों को, तो उन्हें तलाक़ दो उनकी 'इद्दत' के लिए, और गणना करो 'इद्दत' की तथा डरो अपने पालनहार अल्लाह से और न निकालो उन्हें उनके घरों से और न वह स्वयं निकलें, परन्तु ये कि वे कोई खुली बुराई कर जायें तथा ये अल्लाह की सीमायें हैं और जो उल्लंघन करेगा अल्लाह की सीमाओं का, तो उसने अत्याचार कर लया अपने ऊपर। तुम नहीं जानते संभवतः अल्लाह कोई नई बात उत्पन्न कर दे इसके पश्चात्।

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فَإِذَا بَلَغْنَ أَجَلَهُنَّ فَأَمْسِكُوهُنَّ بِمَعْرُوفٍ أَوْ فَارِقُوهُنَّ بِمَعْرُوفٍ وَأَشْهِدُوا ذَوَيْ عَدْلٍ مِّنكُمْ وَأَقِيمُوا الشَّهَادَةَ لِلَّهِ ۚ ذَٰلِكُمْ يُوعَظُ بِهِ مَن كَانَ يُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ ۚ وَمَن يَتَّقِ اللَّهَ يَجْعَل لَّهُ مَخْرَجًا ﴾ 2 ﴿

Transliteration

फ़-इज़ा बल ग़्-न अ-ज-लहुन्-न फ़-अम्सिकूहुन्-न बि- मअ्-रूफ़िन् औ फ़ारिक़ू हुन्-न बि- म अ्-रूफिंव्-व अश्हिदू ज़वै अ़द्लिम् – मिन्कुम् व अक़ीमुश्शहा-द-त लिल्लाहि, ज़ालिकुम् यू – अ़ज़ु बिही मन् का-न युअ्मिनु बिल्लाहि वल्यौमिल्- आख़िरि, व मंय्यत्तकिल्ला-ह यज्अल्-लहू मख़् – रजा

हिंदी अनुवाद

फिर जब पहुचने लगें अपने निर्धारित अवधि को, तो उन्हें रोक लो नियमानुसार अथवा अलग कर दो नियमानुसार[1] और गवाह (साक्षी) बना लो[2] अपने में से दो न्यायकारियों को तथा सीधी गवाही दो अल्लाह के[3] लिए। इसकी शिक्षा दी जा रही है उसे, जो ईमान रखता हो अल्लाह तथा अन्त-दिवस (प्रलय) पर और जो कोई डरता हो अल्लाह से, तो वह बना देगा उसके लिए कोई निकलने का उपाय। 1. अर्थात तलाक़ तथा रज्अत पर। 2. यदि एक या दो तलाक़ दी हो। (देखियेः सूरह बक़रह, आयतः229) 3. अर्थात निष्पक्ष हो कर।

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وَيَرْزُقْهُ مِنْ حَيْثُ لَا يَحْتَسِبُ ۚ وَمَن يَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ فَهُوَ حَسْبُهُ ۚ إِنَّ اللَّهَ بَالِغُ أَمْرِهِ ۚ قَدْ جَعَلَ اللَّهُ لِكُلِّ شَيْءٍ قَدْرًا ‎ ﴾ 3 ﴿

Transliteration

व यर्ज़ुक़्हु मिन् हैसु ला यहतसिबु, व मंय्य – तवक्कल् अ़लल्लाहि फ़हु-व हस्बुहू, इन्नल्ला – ह बालिग़ु अम्रिही, क़द् ज- अ़लल्लाहु लिकुल्लि शैइन् क़द्रा

हिंदी अनुवाद

और उसे जीविका प्रदान करेगा, उस स्थान से, जिसका उसे अनुमान (भी) न हो तथा जो अल्लाह पर निर्भर रहेगा, तो वही उसे पर्याप्त है। निश्चय अल्लाह अपना कार्य पूरा करके रहेगा।[1] अल्लाह ने प्रत्येक वस्तु के लिए एक अनुमान (समय) नियत कर रखा है। 1. अर्थात जो दुःख तथा सुख भाग्य में अल्लाह ने लिखा है वह अपने समय में अवश्य पूरा होगा।

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وَاللَّائِي يَئِسْنَ مِنَ الْمَحِيضِ مِن نِّسَائِكُمْ إِنِ ارْتَبْتُمْ فَعِدَّتُهُنَّ ثَلَاثَةُ أَشْهُرٍ وَاللَّائِي لَمْ يَحِضْنَ ۚ وَأُولَاتُ الْأَحْمَالِ أَجَلُهُنَّ أَن يَضَعْنَ حَمْلَهُنَّ ۚ وَمَن يَتَّقِ اللَّهَ يَجْعَل لَّهُ مِنْ أَمْرِهِ يُسْرًا ‎ ﴾ 4 ﴿

Transliteration

वल्लाई य-इस्-न मिनल्-महीज़ि मिन्-निसाइकुम् इनिर्तब्तुम् फ़-अिद्दतुहुन्-न सला- सतु अश्हुरिंव् – वल्लाई लम् यहिज़्-न, व उलातुल्-अ ह्मालि अ-जलुहुन् न अंय्यज़अ् – न हम्ल हुन्-न, व मंय्यत्त क़िल्ला – ह यज् अ़ल्-लहू मिन् अम्रिही युस्रा

हिंदी अनुवाद

तथा जो निराश[1] हो जाती हैं मासिक धर्म से तुम्हारी स्त्रियों में से, यदि तुम्हें संदेह हो तो उनकी निर्धारित अवधि तीन मास है तथा उनकी, जिन्हें मासिक धर्म न आता हो और गर्भवती स्त्रियों की निर्धारित अवधि ये है कि प्रसव हो जाये तथा जो अल्लाह से डरेगा, वह उसके लिए उसका कार्य सरल कर देगा। 1. निश्चित अवधि से अभिप्राय वह अवधि है जिस के भीतर कोई स्त्री तलाक़ पाने के पश्चात् दूसरा विवाह नहीं कर सकती। और यह अवधि उस स्त्री के लिये जिसे दीर्घायु अथवा अल्पायु होने के कारण मासिक धर्म न आये तीन मास तथा गर्भवती के लिये प्रसव है। और मासिक धर्म आने की स्थिति में तीन मासिक धर्म पूरा होना है। ह़दीस में है कि सुबैआ असलमिय्या (रज़ियल्लाहु अन्हा) के पति मारे गये तो वह गर्भवती थी। फिर चालीस दिन बाद उस ने शिशु जन्म दिया। और जब उस की मंगनी हुई तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उसे विवाह दिया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4909) पति की मौत पर चार महीना दस दिन की अवधि उस के लिये है जो गर्भवति न हो। (देखियेः सूरह बक़रह, आयतः 226)

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ذَٰلِكَ أَمْرُ اللَّهِ أَنزَلَهُ إِلَيْكُمْ ۚ وَمَن يَتَّقِ اللَّهَ يُكَفِّرْ عَنْهُ سَيِّئَاتِهِ وَيُعْظِمْ لَهُ أَجْرًا ﴾ 5 ﴿

Transliteration

ज़ालि – क अम्रुल्लाहि अन्ज़-लहू इलैकुम्, व मंय्यत्तकिल्ला-ह युकफ़्फ़िर् अन्हु सय्यिआतिही व यु अ्ज़िम् लहू अज्रा

हिंदी अनुवाद

ये अल्लाह का आदेश है, जिसे उतारा है तुम्हारी ओर, अतः, जो अल्लाह से डरेगा[1] वह क्षमा कर देगा उससे उसके दोषों को तथा प्रदान करेगा उसे बड़ा प्रतिफल। 1. अर्थात उस के आदेश का पालन करेगा।

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أَسْكِنُوهُنَّ مِنْ حَيْثُ سَكَنتُم مِّن وُجْدِكُمْ وَلَا تُضَارُّوهُنَّ لِتُضَيِّقُوا عَلَيْهِنَّ ۚ وَإِن كُنَّ أُولَاتِ حَمْلٍ فَأَنفِقُوا عَلَيْهِنَّ حَتَّىٰ يَضَعْنَ حَمْلَهُنَّ ۚ فَإِنْ أَرْضَعْنَ لَكُمْ فَآتُوهُنَّ أُجُورَهُنَّ ۖ وَأْتَمِرُوا بَيْنَكُم بِمَعْرُوفٍ ۖ وَإِن تَعَاسَرْتُمْ فَسَتُرْضِعُ لَهُ أُخْرَىٰ ﴾ 6 ﴿

Transliteration

अस्किनूहुन्-न मिन् हैसु स-कन्तुम् मिं व्वुज्दिकुम् व ला तुज़ारूहुन्-न लि-तुज़य्यिकू अ़लैहिन्-न, व इन् कुन्-न उलाति हम्लिन् फ़-अन्फिक़ू अ़लैहिन्- न हत्ता यज़अ्-न हम् – लहुन्-न फ-इन् अर्ज़अ्-न लकुम् फ़-आतूहुन्-न उजू-रहुन्न वअ्तमिरू बैनकुम् बि-मअरूफ़िन् व इन् तआसर्-तुम् फ़-सतुर्जि ऊ लहू उ ख़्रा

हिंदी अनुवाद

और उन्हें (निर्धारित अवधि में) रखो, जहाँ तुम रहते हो, अपनी शक्ति अनुसार और उन्हें हानि न पहुँचाओ, उन्हें तंग करने के लिए और यदि वे गर्भवती हों, तो उनपर ख़र्च करो, यहाँ तक कि प्रसव हो जाये। फिर यदि दूध पिलायें तुम्हारे (शिशु) के लिए, तो उन्हें उनका पारिश्रमिक दो और विचार-विमर्श कर लो, आपस में उचित रूप[1] से और यदि तुम दोनों में तनाव हो जाये, तो दूध पिलायेगी उसे कोई दूसरी स्त्री। 1. अर्थात परिश्रामिक के विषय में।

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لِيُنفِقْ ذُو سَعَةٍ مِّن سَعَتِهِ ۖ وَمَن قُدِرَ عَلَيْهِ رِزْقُهُ فَلْيُنفِقْ مِمَّا آتَاهُ اللَّهُ ۚ لَا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفْسًا إِلَّا مَا آتَاهَا ۚ سَيَجْعَلُ اللَّهُ بَعْدَ عُسْرٍ يُسْرًا ‎ ﴾ 7 ﴿

Transliteration

लियुन्फ़िक् ज़ू स-अतिम्-मिन् स – अ़तिही, व मन् क़ुदि-र अ़लैहि रिज़्कुहू फ़ल्युन्फ़िक़् मिम्मा – आताहुल्लाहु, ला युकल्लिफ़ुल्लाहु नफ़्सन् इल्ला मा आताहा, स-यज् – अ़लुल्लाहु ब अ्-द उ स् रिंय्-युस्रा

हिंदी अनुवाद

चाहिये कि सम्पन्न, ख़र्च दे अपनी कमाई के अनुसार और तंग हो जिसपर उसकी जीविका, उसे चाहिये कि ख़र्च दे उसमें से, जो दिया है उसे अल्लाह ने। अल्लाह भार नहीं रखता किसी प्राणी पर, परन्तु उतना ही, जो उसे दिया है। शीघ्र ही कर देगा अल्लाह तंगी के पश्चात् सुविधा।

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وَكَأَيِّن مِّن قَرْيَةٍ عَتَتْ عَنْ أَمْرِ رَبِّهَا وَرُسُلِهِ فَحَاسَبْنَاهَا حِسَابًا شَدِيدًا وَعَذَّبْنَاهَا عَذَابًا نُّكْرًا ﴾ 8 ﴿

Transliteration

व क – अय्यिम् मिन् क़र्-यतिन् अ़तत् अ़न् अम्रि रब्बिहा व रुसुलिही फ़-हासब्नाहा हिसाबन् शदीदंव्-व अज़्ज़ब्नाहा अ़ज़ाबन्-नुक्रा

हिंदी अनुवाद

कितनी बस्तियाँ[1] थीं जिनके वासियों ने अवज्ञा की अपने पालनहार और उसके रसूलों के आदेश की, तो हमने ह़िसाब ले लिया उनका कड़ा ह़िसाब और उन्हें यातना दी बुरी यातना। 1. यहाँ से अल्लाह की अवैज्ञा के दुष्परिणाम से सावधान किया जा रहा है।

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فَذَاقَتْ وَبَالَ أَمْرِهَا وَكَانَ عَاقِبَةُ أَمْرِهَا خُسْرًا ‎ ﴾ 9 ﴿

Transliteration

फ़-ज़ाक़त् व बा-ल अम्रिहा व का-न आ़क़ि- बतु अम्रिहा ख़ुस्रा

हिंदी अनुवाद

तो उसने चख लिया अपने कर्म का दुष्परिणाम और उनका कार्य-परिणाम विनाश ही रहा।

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أَعَدَّ اللَّهُ لَهُمْ عَذَابًا شَدِيدًا ۖ فَاتَّقُوا اللَّهَ يَا أُولِي الْأَلْبَابِ الَّذِينَ آمَنُوا ۚ قَدْ أَنزَلَ اللَّهُ إِلَيْكُمْ ذِكْرًا ﴾ 10 ﴿

Transliteration

अ-अद्दल्लाहु लहुम् अ़ज़ाबन् शदीदन् फ़त्तक़ुल्ला-ह या उलिल्- अल्बाबिल्लज़ी-न आमनू क़द् अन्ज़लल्लाहु इलैकुम् ज़िक्रा

हिंदी अनुवाद

तैयार कर रखी है अल्लाह ने उनके लिए भीषण यातना। अतः, अल्लाह से डरो, हे समझ वालो, जो ईमान लाये हो! निःसंदेह, अल्लाह ने उतार दी है तुम्हारी ओर एक शिक्षा।

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رَّسُولًا يَتْلُو عَلَيْكُمْ آيَاتِ اللَّهِ مُبَيِّنَاتٍ لِّيُخْرِجَ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ مِنَ الظُّلُمَاتِ إِلَى النُّورِ ۚ وَمَن يُؤْمِن بِاللَّهِ وَيَعْمَلْ صَالِحًا يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا ۖ قَدْ أَحْسَنَ اللَّهُ لَهُ رِزْقًا ﴾ 11 ﴿

Transliteration

रसूलंय् – यत्लू अ़लैकुम् आयातिल्लाहि मुबय्यिनातिल्-लियुख़्-रिजल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति मिनज़्ज़ुलुमाति इलन्नूरि, व मंय्युअ्मिम् बिल्लाहि व यअ्मल् सालिहंय् – युद्ख़िल्हु जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल्-अन्हारु ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन्, क़द् अह्-सनल्लाहु लहू रिज़्क़ा

हिंदी अनुवाद

(अर्थात) एक रसूल[1] जो पढ़कर सुनाते हैं तुम्हें अल्लाह की खुली आयतें ताकि वह निकाले उन्हें, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, अन्धकारों से प्रकाश की ओर और जो ईमान लाये तथा सदाचार करेगा, वह उसे प्रवेश देगा ऐसे स्वर्गों में, प्रवाहित हैं जिनमें नहरें, वे सदावासी होंगे उनमें। अल्लाह ने उसके लिए उत्तम जीविका तैयार कर रखी है। 1. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को। अन्धकारों से अभिप्राय कुफ़्र तथा प्रकाश से अभिप्राय ईमान है।

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اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ سَبْعَ سَمَاوَاتٍ وَمِنَ الْأَرْضِ مِثْلَهُنَّ يَتَنَزَّلُ الْأَمْرُ بَيْنَهُنَّ لِتَعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ وَأَنَّ اللَّهَ قَدْ أَحَاطَ بِكُلِّ شَيْءٍ عِلْمًا ﴾ 12 ﴿

Transliteration

अल्लाहुल्लज़ी ख़-ल-क़ सब्-अ़ समावातिंव्-व मिनल्-अर्ज़ि मिस्-लहुन्-न, य-तनज़्ज़लुल्-अम्रू बैनहुन्-न लितअ्लमू अन्नल्ला-ह अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीरुंव्-व अन्नल्ला – ह कुद् अहा – त बिकुल्लि शैइन् अिल्मा

हिंदी अनुवाद

अल्लाह वह है, जिसने उत्पन्न किये सात आकाश तथा धरती में से उन्हीं के समान। वह उतारता है आदेश उनके बीच, ताकि तुम विश्वास करो कि अल्लाह जो कुछ चाहे, कर सकता है और ये कि अल्लाह ने घेर रखा है प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान की परिधि में।

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