सूरह तकासुर के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मक्की है, इस में 8 आयतें हैं।
- इस की प्रथम आयत में ((तकासुर)) अर्थातः अधिक से अधिक धन प्राप्त करने की इच्छा को जीवन के मूल उद्देश्य से अचेत रहने का कारण बताया गया है। इसी लिये इस का यह नाम रखा गया है।[1]
- इस की आयत 1 से 5 तक में सावधान किया गया है कि जिस धन को तुम सब कुछ समझते हो और उसे अर्जित करने में अपने भविष्य से अचेत हो तुम्हें आँख बंद करते ही पता लग जायेगा कि मौत के उस पार क्या है।
- आयत 6 से 8 तक में बताया गया है कि नरक को तुम मानो या न मानो वह दिन आ कर रहेगा जब तुम उसे अपनी आँखों से देख लोगे। और तुम्हें उस का विश्वास हो जायेगा किन्तु वह समय कर्म का नहीं बल्कि हिसाब देने का दिन होगा। और तुम्हें अल्लाह के प्रत्येक प्रदान का जवाब देना होगा।
सूरह अत-तकासुर | Surah Takasur in Hindi
بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ ﴾ 1 ﴿
अल्हाकुमुत् तकासुरु
तुम्हें अधिक (धन) के लोभ ने मगन कर दिया।
حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ ﴾ 2 ﴿
हत्ता जुरतुमुल् मक़ाबिर
यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तान जा पहुँचे।[1] 1. (1-2) इन दोनों आयतों में उन को सावधान किया गया है जो संसारिक धन ही को सब कुछ समझते हैं और उसे अधिकाधिक प्राप्त करने की धुन उन पर ऐसी सवार है कि मौत के पार क्या होगा इसे सोचते ही नहीं। कुछ तो धन की देवी बना कर उसे पूजते हैं।
كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ ﴾ 3 ﴿
कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून
निश्चय तुम्हें ज्ञान हो जायेगा।
ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ ﴾ 4 ﴿
सुम्म कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून
फिर निश्चय ही तुम्हें ज्ञान हो जायेगा।
كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ ﴾ 5 ﴿
कल्ला लौ तअ्लमू-न अिल्मल् यकी़न
वास्तव में, यदि तुम्हें विश्वास होता (तो ऐसा न करते)।[1] 1. (3-5) इन आयतों में सावधान किया गया है कि मौत के पार क्या है? उन्हें आँख बन्द करते ही इस का ज्ञान हो जायेगा। यदि आज तुम्हें इस का विश्वास होता तो अपने भविष्य की ओर से निश्चिन्त न होते। और तुम पर धन प्राप्ती की धुन इतनी सवार न होती।
لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ ﴾ 6 ﴿
ल-त-र वुन्नल् जहीम
तुम नरक को अवश्य देखोगे।
ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ ﴾ 7 ﴿
सुम्म ल-त-र वुन्नहा अैनल् यक़ीन
फिर उसे विश्वास की आँख से देखोगे।
ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ ﴾ 8 ﴿
सुम्म लतुस् अलुन्-न यौमइज़िन् अ़निन् नअ़ीम
फिर उस दिन तुमसे सुख सम्पदा के विषय में अवश्य पूछ गछ होगी।[1] 1. (6-8) इन आयतों में सूचित किया गया है कि तुम नरक के होने का विश्वास करो या न करो वह दिन आ कर रहेगा जब तुम उस को अपनी आँखों से देख लोगे। उस समय तुम्हें इस का पूरा विश्वास हो जायेगा। परन्तु वह दिन कर्म का नहीं ह़िसाब देने का दिन होगा। और तुम्हें प्रत्येक अनुकम्पा (नेमत) के बारे में अल्लाह के सामने जवाब देही करनी होगी। (अह़्सनुल बयान)