सूरह रहमान के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मक्की है इस में 78 आयतें है।
- इस सूरह का आरंभ अल्लाह के शुभ नाम ((रहमान)) से हुआ है। इसलिये इस का नाम सूरह रहमान है।
- इस की आरंभिक आयतों में रहमान (अत्यंत कृपाशील) की सब से बड़ी दया का वर्णन हुआ है कि उस ने मनुष्य को कुरआन का ज्ञान प्रदान किया और उसे बात करने की शक्ति दी जो उस का विशेष गुण है।
- फिर आयत 12 तक धरती तथा आकाश की विचित्र चीज़ों का वर्णन कर के यह प्रश्न किया गया है कि तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों तथा गुणों को नकारोगे?
- इस की आयत 13 से 30 तक जिन्नों तथा मनुष्यों की उत्पत्ति, दो पूर्व तथा पश्चिमों की दूरी, दो सागरों का संगम तथा इस प्रकार की अन्य विचित्र निशानियों और अल्लाह की दया की ओर ध्यान दिलाया गया है।
- आयत 31 से 45 तक मनुष्यों तथा जिन्नों को उन के पापों पर कड़ी चेतावनी दी गई है कि वह दिन आ ही रहा है जब तुम्हारे किये का दुःखदायी दण्ड तुम्हें मिलेगा।
- अन्त में उन का शुभ परिणाम बताया गया है जो अल्लाह से डरते रहे। और फिर स्वर्ग के सुखों की एक झलक दिखायी गई है।
Surah Rahman in Hindi | सूरह रहमान [55]
بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
عَلَّمَهُ الْبَيَانَ ﴾ 4 ﴿
अल लमहुल बयान
सिखाया उसे साफ़-साफ़ बोलना।
الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ ﴾ 5 ﴿
अश शम्सु वल कमरू बिहुस्बान
सूर्य तथा चन्द्रमा एक (नियमित) ह़िसाब से हैं।
وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ ﴾ 6 ﴿
वन नज्मु वश शजरू यस्जुदान
तथा तारे और वृक्ष दोनों (उसे) सज्दा करते हैं।
وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ ﴾ 7 ﴿
वस समाअ रफ़ाअहा व वदअल मीज़ान
और आकाश को ऊँचा किया और रख दी तराजू।[1] 1. (देखियेः सूरह ह़दीद, आयतः25) अर्थ यह है कि धरती में न्याय का नियम बनाया और उस के पालन का आदेश दिया।
أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ ﴾ 8 ﴿
अल्ला ततगव फिल मीज़ान
ताकि तुम उल्लंघन न करो तराजू (न्याय) में।
وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ ﴾ 9 ﴿
व अक़ीमुल वज्ना बिल किस्ति वला तुख सिरुल मीज़ान
तथा सीधी रखो तराजू न्याय के साथ और कम न तोलो।
وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ ﴾ 10 ﴿
वल अरदा वदअहा लिल अनाम
धरती को उसने (रहने योग्य) बनाया पूरी उत्पत्ति के लिए।
فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ ﴾ 11 ﴿
फ़ीहा फाकिहतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम
जिसमें मेवे तथा गुच्छे वाले खजूर हैं।
وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ ﴾ 12 ﴿
वल हब्बु जुल अस्फि वर रैहान
और भूसे वाले अन्न तथा सुगंधित (पुष्प) फूल हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 13 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो (हे मनुष्य तथा जिन्न!) तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
خَلَقَ الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ ﴾ 14 ﴿
खलक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख्खार
उसने उत्पन्न किया मनुष्य को खनखनाते ठीकरी जैसे सूखे गारे से।
وَخَلَقَ الْجَانَّ مِن مَّارِجٍ مِّن نَّارٍ ﴾ 15 ﴿
व खलक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार
तथा उत्पन्न किया जिन्नों को अग्नि की ज्वाला से।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 16 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ ﴾ 17 ﴿
रब्बुल मश रिकैनि व रब्बुल मगरिबैन
वह दोनों सूर्योदय[1] के स्थानों तथा दोनों सूर्यास्त के स्थानों का स्वामी है। 1. गर्मी तथा जाड़े में सूर्योदय तथा सूर्यास्त के स्थानों का। इस से अभिप्राय पूर्व तथा पश्चिम की दिशा नहीं है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 18 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ ﴾ 19 ﴿
मरजल बह रैनि यल तकियान
उसने दो सागर बहा दिये, जिनका संगम होता है।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا يَبْغِيَانِ ﴾ 20 ﴿
बैनहुमा बरज़खुल ला यब गियान
उन दोनों के बीच एक आड़ है। वह एक-दूसरे से मिल नहीं सकते।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 21 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ ﴾ 22 ﴿
यख रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान
निकलता है उन दोनों से मोती तथा मूँगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 23 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ ﴾ 24 ﴿
वलहुल जवारिल मून शआतु फिल बहरि कल अअ’लाम
तथा उसी के अधिकार में हैं जहाज़, खड़े किये हुए सागर में पर्वतों जैसे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 25 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ ﴾ 26 ﴿
कुल्लू मन अलैहा फान
प्रत्येक, जो धरती पर हैं, नाशवान हैं।
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ ﴾ 27 ﴿
व यब्का वज्हु रब्बिका जुल जलालि वल इकराम
तथा शेष रह जायेगा आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का मुख (अस्तित्व)।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 28 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
يَسْأَلُهُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ ﴾ 29 ﴿
यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन
उसीसे माँगते हैं, जो आकाशों तथा धरती में हैं। प्रत्येक दिन वह एक नये कार्य में है।[1] 1. अर्थात वह अपनी उत्पत्ति की आवश्यक्तायें पूरी करता, प्रार्थनायें सुनता, सहायता करता, रोगी को निरोग करता, अपनी दया प्रदान करता, तथा अपमान-सम्मान और विजय-प्राजय देता और अगणित कार्य करता है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 30 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ ﴾ 31 ﴿
सनफ रुगु लकुम अय्युहस सक़लान
और शीघ्र ही हम पूर्णतः आकर्षित हो जायेंगे तुम्हारी ओर, हे (धरती के) दोनों बोझ[1] (जन्नो और मनुष्यो!)[2] 1. इस वाक्या का अर्थ मुह़ावरे में धमकी देना और सावधान करना है। 2. इस में प्रलय के दिन की ओर संकेत है जब सब मनुष्यों और जिन्नों के कर्मों का ह़िसाब लिया जायेगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 32 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَن تَنفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانفُذُوا ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ ﴾ 33 ﴿
या मअशरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअतुम अन तन्फुजु मिन अक तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान
हे जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि निकल सकते हो आकाशों तथा थरती के किनारों से, तो निकल भागो और तुम निकल नहीं सकोगे बिना बड़ी शक्ति[1] के। 1. अर्थ यह है कि अल्लाह की पकड़ से बच निकलना तुम्हारे बस में नहीं है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 34 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِّن نَّارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنتَصِرَانِ ﴾ 35 ﴿
युरसलू अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान
तुम दोनों पर अग्नि की ज्वाला तथा धुवाँ छोड़ा जायेगा। तो तुम अपनी सहायता नहीं कर सकोगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 36 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فَإِذَا انشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ ﴾ 37 ﴿
फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान
जब आकाश (प्रलय के दिन) फट जायेगा, तो लाल हो जायेगा लाल चमड़े के समान।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 38 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فَيَوْمَئِذٍ لَّا يُسْأَلُ عَن ذَنبِهِ إِنسٌ وَلَا جَانٌّ ﴾ 39 ﴿
फयौम इज़िल ला युस अलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान
तो उस दिन नहीं प्रश्न किया जायेगा अपने पाप का किसी मनुष्य से और न जिन्न से।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 40 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
يُعْرَفُ الْمُجْرِمُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ ﴾ 41 ﴿
युअ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ खजु बिन नवासी वल अक़दाम
पहचान लिये जायेंगे अपराधी अपने मुखों से, तो पकड़ा जायेगा उनके माथे के बालों और पैरों को।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 42 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
هَـٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُونَ ﴾ 43 ﴿
हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून
यही वो नरक है, जिसे झूठ कह रहे थे अपराधी।
يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ آنٍ ﴾ 44 ﴿
यतूफूना बैनहा व बैन हमीमिन आन
वे फिरते रहेंगे उसके बीच तथा खौलते पानी के बीच।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 45 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ جَنَّتَانِ ﴾ 46 ﴿
व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान
और उसके लिए, जो डरा अपने पालनहार के समक्ष खड़े होने से, दो बाग़ हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 47 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
ذَوَاتَا أَفْنَانٍ ﴾ 48 ﴿
ज़वाता अफ्नान
दो बाग़, हरी-भरी शाखाओं वाले।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 49 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ ﴾ 50 ﴿
फीहिमा ऐनानि तजरियान
उन दोनों में, दो जल स्रोत बहते होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 51 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِمَا مِن كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجَانِ ﴾ 52 ﴿
फीहिमा मिन कुल्लि फकिहतिन ज़वजान
उनमें, प्रत्येक फल के दो प्रकार होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 53 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ فُرُشٍ بَطَائِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍ ۚ وَجَنَى الْجَنَّتَيْنِ دَانٍ ﴾ 54 ﴿
मुततकि ईना अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ वजनल जन्नतैनी दान
वे ऐसे बिस्तरों पर तकिये लगाये हुए होंगे, जिनके स्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों (की शाखायें) फलों से झुकी हुई होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 55 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ ﴾ 56 ﴿
फ़ी हिन्ना कासिरातुत तरफि लम यतमिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
उनमें लजीली आँखों वाली स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें हाथ नहीं लगाया होगा किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 57 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
كَأَنَّهُنَّ الْيَاقُوتُ وَالْمَرْجَانُ ﴾ 58 ﴿
क अन्न हुन्नल याकूतु वल मरजान
जैसे वह हीरे और मोंगे हों।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 59 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ ﴾ 60 ﴿
हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान
उपकार का बदला उपकार ही है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 61 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ ﴾ 62 ﴿
वमिन दूनिहिमा जन नतान
तथा उन दोनों के सिवा[1] दो बाग़ होंगे। 1. ह़दीस में है कि दो स्वर्ग चाँदी की हैं। जिन के बर्तन तथा सब कुछ चाँदी के हैं। और दो स्वर्ग सोने की, जिन के बर्तन तथा सब कुछ सोने का है। और स्वर्ग वासियों तथा अल्लाह के दर्शन के बीच अल्लाह के मुख पर महिमा के पर्दे के सिवा कुछ नहीं होगा। (सह़ीह बुख़ारीः 4878)
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 63 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 65 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ ﴾ 66 ﴿
फीहिमा ऐनानि नज्ज़ा खतान
उन दोनों में, दो जल स्रोत होंगे उबलते हुए।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 67 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ ﴾ 68 ﴿
फीहिमा फाकिहतुव व नख्लुव वरुम मान
उनमें, फल तथा खजूर और अनार होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 69 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ ﴾ 70 ﴿
फिहिन्ना खैरातुन हिसान
उनमें, सुचरिता सुन्दरियाँ होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 71 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
حُورٌ مَّقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ ﴾ 72 ﴿
हूरुम मक्सूरातुन फिल खियाम
गोरियाँ सुरक्षित होंगी ख़ेमों में।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 73 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ ﴾ 74 ﴿
लम यत मिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
नहीं हाथ लगाया होगा[1] उन्हें किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने। 1. ह़दीस में है कि यदि स्वर्ग की कोई सुन्दरी संसार वासियों की ओर झाँक दे, तो दोनों के बीच उजाला हो जाये। और सुगंध से भर जायें। (सह़ीह़ बुख़ारी शरीफ़ः 2796)
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 75 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ ﴾ 76 ﴿
मुत तकि ईना अला रफ़रफिन खुजरिव व अब्क़रिय यिन हिसान
वे तकिये लगाये हुए होंगे हरे ग़लीचों तथा सुन्दर बिस्तरों पर।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴾ 77 ﴿
फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?