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कुरआन मजीद

Quran in Hindi

90. सूरह अल-बलद – 1-20

सूरह बलद के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है. इस में 20 आयतें हैं।

  • इस की प्रथम आयत में ((अल-बलद)) (अर्थातः नगर) की शपथ ली गई है। जिस से अभिप्राय मक्का है। और इसी से इस सूरह का यह नाम लिया गया है।
  • इस की आयत 1 से 4 तक में जो गवाहियों प्रस्तुत की गई है उन से अभिप्राय यह है कि यह संसार सुख विलास के लिये नहीं बनाया गया है। बल्कि इस के बनाने का एक विशेष उद्देश्य है। इसी लिये मनुष्य को दुश्ख की स्थिति में पैदा किया गया है।
  • आयत 5 से 7 तक में यह चेतावनी दी गई है कि मनुष्य यह न समझे कि उस के ऊपर उस के कर्मों की निगरानी के लिये कोई शक्ति नहीं है।
  • आयत 8 से 17 तक में बताया गया है कि मनुष्य के आचरण और कर्म की ऊँचाई तथा नीचाई की राह भी खोल दी गई है। और इस ऊंचाई पर चढ़ कर जो दुर्गम है, वह आचरण और कर्म की ऊँचाई को प्राप्त कर लेता है।
  • आयत 18 से 20 तक में बताया गया है कि मनुष्य ईमान के साथ आचरण की ऊँचाई द्वारा भाग्यशाली बन जाता है और कुफ्र के कारण नरक की खाई में जा गिरता है जिस से निकलने का फिर कोई उपाय नहीं होगा।

1 इस सूरह का विषय मानव जाति (इन्सान) को यह समझाना है कि अल्लाह ने सौभाग्य तथा दुर्भाग्य की दोनों राहें खोल दी हैं। और उन्हें देखने और उन पर चलने के साधन भी सुलभ कर दिये हैं। अब इन्सान के अपने प्रयास पर निर्भर है कि वह कौन सा मार्ग अपनाता है।

सूरह अल-बलद | Surah Balad in Hindi

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

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لَا أُقْسِمُ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ‎ ﴾ 1 ﴿

Transliteration

ला उक्सिमु बिहाज़ल बलद

हिंदी अनुवाद

मैं इस नगर मक्का की शपथ लेता हूँ!

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‏ وَأَنتَ حِلٌّ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ﴾ 2 ﴿

Transliteration

व अंत हिल्लुम बिहाज़ल बलद

हिंदी अनुवाद

तथा तुम इस नगर में प्रवेश करने वाले हो।

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وَوَالِدٍ وَمَا وَلَدَ ‎ ﴾ 3 ﴿

Transliteration

व वालिदिव वमा वलद

हिंदी अनुवाद

तथा सौगन्ध है पिता एवं उसकी संतान की!

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لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ فِي كَبَدٍ ﴾ 4 ﴿

Transliteration

लक़द खलक्नल इन्सान फ़ी कबद

हिंदी अनुवाद

हमने इन्सान को कष्ट में घिरा हुआ पैदा किया है।

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أَيَحْسَبُ أَن لَّن يَقْدِرَ عَلَيْهِ أَحَدٌ ﴾ 5 ﴿

Transliteration

अयह सबु अल लैय यक्दिरा अलैहि अहद

हिंदी अनुवाद

क्या वह समझता है कि उसपर किसी का वश नहीं चलेगा?[1] 1. (1-5) इन आयतों में सर्व प्रथम मक्का नगर में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर जो घटनायें घट रही थीं, और आप तथा आप के अनुयायियों को सताया जा रहा था, उस को साक्षी के रूप में परस्तुत किया गया है कि इन्सान की पैदाइश (रचना) संसार का स्वाद लेने के लिये नहीं हुई है। संसार परिश्रम तथा पीड़ायें झेलने का स्थान है। कोई इन्सान इस स्थिति से गुज़रे बिना नहीं रह सकता। "पिता" से अभिप्राय आदम अलैहिस्सलमा और "संतान" से अभिप्राय समस्त मानव जाति (इन्सान) हैं। फिर इन्सान के इस भ्रम को दूर किया है कि उस के ऊपर कोई शक्ति नहीं है जो उस के कर्मों को देख रही है, और समय आने पर उस की पकड़ करेगी।

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‏ يَقُولُ أَهْلَكْتُ مَالًا لُّبَدًا ﴾ 6 ﴿

Transliteration

यक़ूलु अहलकतु मालल लु बदा

हिंदी अनुवाद

वह कहता है कि मैंने बहुत धन ख़र्च कर दिया।

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أَيَحْسَبُ أَن لَّمْ يَرَهُ أَحَدٌ ‎ ﴾ 7 ﴿

Transliteration

अयह्सबू अल लम य रहू अहद

हिंदी अनुवाद

क्या वह समझता है कि उसे किसी ने देखा नहीं?[1] 1. (1-5) इन में यह बताया गया है कि संसार में बड़ाई तथा प्रधानता के ग़लत पैमाने बना लिये गये हैं, और जो दिखावे के लिये धन व्यय (ख़र्च) करता है उस की प्रशंसा की जाती है जब कि उस के ऊपर एक शक्ति है जो यह देख रही है कि उस ने किन राहों में और किस लिये धन ख़र्च किया है।

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أَلَمْ نَجْعَل لَّهُ عَيْنَيْنِ ‎ ﴾ 8 ﴿

Transliteration

अलम नज अल लहू ऐनैन

हिंदी अनुवाद

क्या हमने उसे दो आँखें नहीं दीं?

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وَلِسَانًا وَشَفَتَيْنِ ‎ ﴾ 9 ﴿

Transliteration

व लिसानव व शफतैन

हिंदी अनुवाद

और एक ज़बान तथा दो होंट नहीं दिये?

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وَهَدَيْنَاهُ النَّجْدَيْنِ ﴾ 10 ﴿

Transliteration

व हदैनाहून नज्दैन

हिंदी अनुवाद

और उसे दोनों मार्ग दिखा दिये।

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فَلَا اقْتَحَمَ الْعَقَبَةَ ‎ ﴾ 11 ﴿

Transliteration

फलक तहमल अ क़बह

हिंदी अनुवाद

तो वह घाटी में घुसा ही नहीं।

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وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْعَقَبَةُ ﴾ 12 ﴿

Transliteration

वमा अद राका मल अ क़बह

हिंदी अनुवाद

और तुम क्या जानो कि घाटी क्या है?

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فَكُّ رَقَبَةٍ ﴾ 13 ﴿

Transliteration

फक्कु र क़बह

हिंदी अनुवाद

किसी दास को मुक्त करना।

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أَوْ إِطْعَامٌ فِي يَوْمٍ ذِي مَسْغَبَةٍ ﴾ 14 ﴿

Transliteration

अव इत आमून फ़ी यौमिन ज़ी मस्गबह

हिंदी अनुवाद

अथवा भूक के दिन (अकाल) में खाना खिलाना।

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يَتِيمًا ذَا مَقْرَبَةٍ ﴾ 15 ﴿

Transliteration

यतीमन ज़ा मक़ रबह

हिंदी अनुवाद

किसी अनाथ संबंधी को।

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أَوْ مِسْكِينًا ذَا مَتْرَبَةٍ ﴾ 16 ﴿

Transliteration

अव मिस्कीनन ज़ा मतरबह

हिंदी अनुवाद

अथवा मिट्टी में पड़े निर्धन को।[1] 1. (8-16) इन आयतों में फ़रमाया गया है कि इन्सान को ज्ञान और चिन्तन के साधन और योग्तायें दे कर हम ने उस के सामने भलाई तथा बुराई के दोनों मार्ग खोल दिये हैं, एक नैतिक पतन की ओर ले जाता है और उस में मन को अति स्वाद मिलता है। दूसरा नैतिक ऊँचाईयों की राह जिस में कठिनाईयाँ हैं। और उसी को घाटी कहा गया है। जिस में प्रवेश करने वालों के कर्तव्य में है कि दासों को मुक्त करें, निर्धनों को भोजन करायें इत्यादि वही लोग स्वर्ग वासी हैं। और वे जिन्होंने अल्लाह की आयतों का इन्कार किया वे नरक वासी हैं। आयत संख्या 17 का अर्थ यह है कि सत्य विश्वास (ईमान) के बिना कोई शुभ कर्म मान्य नहीं है। इस में सूखी समाज की विशेषता भी बताई गई है कि दूसरे को सहनशीलता तथा दया का उपदेश दिया जाये और अल्लाह पर सत्य विश्वास रखा जाये।

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ثُمَّ كَانَ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِ ‎ ﴾ 17 ﴿

Transliteration

सुम्मा कान मिनल लज़ीना आमनू व वतवा सौ बिस सबरि व तवा सौ बिल मर हमह

हिंदी अनुवाद

फिर वह उन लोगों में होता है जो ईमान लाये और जिन्होंने धैर्य (सहनशीलता) एवं उपकार के उपदेश दिये।

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‏ أُولَٰئِكَ أَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ ﴾ 18 ﴿

Transliteration

उलाइका अस हाबुल मैमनह

हिंदी अनुवाद

यही लोग सौभाग्यशाली (दायें हाथ वाले) हैं।

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وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِنَا هُمْ أَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ ﴾ 19 ﴿

Transliteration

वल लज़ीना कफरू बि आयातिना हुम असहाबुल मश अमह

हिंदी अनुवाद

और जिन लोगों ने हमारी आयतों को नहीं माना, यही लोग दुर्भाग्य (बायें हाथ वाले) हैं।

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‏ عَلَيْهِمْ نَارٌ مُّؤْصَدَةٌ ‎ ﴾ 20 ﴿

Transliteration

अलैहिम नारुम मुअ सदह

हिंदी अनुवाद

ऐसे लोग, हर ओर से आग में घिरे होंगे।

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