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कुरआन मजीद

Quran in Hindi

42. सूरह अश-शूरा – 1-53

सूरह शूरा के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 53 आयतें हैं।

  • इस की आयत 38 में ईमान वालों को आपस में प्रामर्श करने का नियम बताया गया है। इसलिये इस का नाम ((सूरह शूरा)) है।
  • इस की आरंभिक आयतों में उन बातों को बताया गया है जिन से वह्यी को समझने में सहायता मिलती है। फिर आयत 20 तक बताया गया है कि यह वही धर्म है जिस की वह्यी सभी नबियों की ओर की गई थी। और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को यह निर्देश दिया गया है कि इस पर स्थित रह कर इस धर्म की ओर आमंत्रण दें। और जो लोग विवाद में उलझे हुये हैं उन के पास सत्य का कोई प्रमाण नहीं है।
  • आयत 21 से 35 तक उन की पकड़ की गई है जो मनमानी धर्म बना कर उस पर चलते हैं। और सत्धर्म पर ईमान लाने तथा सदाचार करने पर शुभसूचना दी गई है और विरोधियों के कुछ संदेहों को दूर किया गया है,
  • आयत 36 से 40 तक सत्धर्म के अनुयायियों के वह गुण बताये गये हैं जो संघर्ष की घड़ी में उन्हें सफल बनायेंगे। फिर विरोधियों को सावधान करते हुये अपने पालनहार की पुकार को स्वीकार कर लेने का आमंत्रण दिया गया है।
  • अन्तिम आयतों में सूरह के आरंभिक विषय अर्थात वह्यी को और अधिक उजागर किया गया है।

सूरह अश-शूरा | Surah Shura in Hindi

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

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حم ﴾ 1 ﴿

Transliteration

हा- मीम्

हिंदी अनुवाद

ह़ा मीम।

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عسق ﴾ 2 ﴿

Transliteration

ऐन्- सीन् – क़ाफ़्

हिंदी अनुवाद

ऐन सीन क़ाफ़।

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‏ كَذَٰلِكَ يُوحِي إِلَيْكَ وَإِلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِكَ اللَّهُ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ ﴾ 3 ﴿

Transliteration

कज़ालि क यूही इलै-क व इलल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिकल्लाहुल् अ़ज़ीज़ुल्-हकीम

हिंदी अनुवाद

इसी प्रकार, (अल्लाह) ने प्रकाशना[1] भेजी है आप तथा उन रसूलों की ओर, जो आपसे पूर्व हुए हैं। अल्लाह सबसे प्रबल और सब गुणों को जानने वाला है। 1. आरंभ में यह बताया जा रहा है कि मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कोई नई बात नहीं कर रहे हैं और न यह वह़्यी (प्रकाशना) का विषय ही इस संसार के इतिहास में प्रथम बार सामने आया है। इस से वूर्व भी पहले अम्बिया पर प्रकाशना आ चुकी है और वह एकेश्वरवाद का संदेश सुनाते रहे हैं।

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لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ ﴾ 4 ﴿

Transliteration

लहू मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल्अर्ज़ि, व हुवल् अ़लिय्युल- अ़ज़ीम

हिंदी अनुवाद

उसी का है, जो आकाशों तथा धरती में है और वह बड़ा उच्च, महान है।

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تَكَادُ السَّمَاوَاتُ يَتَفَطَّرْنَ مِن فَوْقِهِنَّ ۚ وَالْمَلَائِكَةُ يُسَبِّحُونَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيَسْتَغْفِرُونَ لِمَن فِي الْأَرْضِ ۗ أَلَا إِنَّ اللَّهَ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ ﴾ 5 ﴿

Transliteration

तकादुस्- समावातु य-तफ़त्तर्न मिन् फ़ौक़िहिन्-न वल्मलाइ-कतु युसब्बिहू-न बिहन्दि-रब्बिहिम् व यस्तग़्फ़िरू न लिमन् फ़िल्- अर्ज़ि, अला इन्नल्ला-ह हुवल् ग़फ़ूरुर्- रहीम

हिंदी अनुवाद

समीप है कि आकाश फट[1] पड़ें अपने ऊपर से, जबकि फ़रिश्ते पवित्रता का गान करते हैं अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ तथा क्षमायाचना करते हैं उनके लिए, जो धरती में हैं। सुनो! वास्तव में, अल्लाह ही अत्यंत क्षमा करने तथा दया करने वाला है। 1. अल्लाह की महिमा तथा प्रताप के भय से।

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وَالَّذِينَ اتَّخَذُوا مِن دُونِهِ أَوْلِيَاءَ اللَّهُ حَفِيظٌ عَلَيْهِمْ وَمَا أَنتَ عَلَيْهِم بِوَكِيلٍ ‎ ﴾ 6 ﴿

Transliteration

वल्लज़ीनत्त – ख़ज़ू मिन् दूनिही औलिया-अल्लाहु हफ़ीज़ुन् अ़लैहिम् व मा अन्-त अ़लैहिम् बि-वकील

हिंदी अनुवाद

तथा जिन लोगों ने बना लिए हैं अल्लाह के सिवा संरक्षक, अल्लाह ही उनपर निरीक्षक (निगराँ) है और आप उनके उत्तर दायी[1] नहीं हैं। 1. आप का दायित्व मात्र सावधान कर देना है।

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‏ وَكَذَٰلِكَ أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَىٰ وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنذِرَ يَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَيْبَ فِيهِ ۚ فَرِيقٌ فِي الْجَنَّةِ وَفَرِيقٌ فِي السَّعِيرِ ﴾ 7 ﴿

Transliteration

व कज़ालि-क औहैना इलै-क कुर्आनन् अ़-रबिय्यल्- लितुन्ज़ि-र उम्मल् क़ुरा व मन् हौ-लहा व तुन्ज़ि-र यौमल्-जम्अि ला रै-ब फ़ीहि, फ़रीक़ुन् फ़िल्-जन्नति व फ़रीक़ुन् फ़िस्सईर

हिंदी अनुवाद

तथा इसी प्रकार, हमने वह़्यी (प्रकाशना) की है आपकी ओर अरबी क़ुर्आन की। ताकि आप सावधान कर दें मक्का[1] वासियों को और जो उसके आस-पास हैं तथा सावधान कर दें एकत्र होने के दिन[2] से, जिस दिन के होने में कोई संशय नहीं। एक पक्ष स्वर्ग में तथा एक पक्ष नरक में होगा। 1. आयत में मक्का को उम्मुल क़ुरा कहा गया है। जो मक्का का एक नाम है जिस का शाब्दिक अर्थ "बस्तियों की माँ" है। बताया जाता है कि मक्का अरब की मूल बस्ती है और उस के आस-पास से अभिप्राय पूरा भूमण्डल है। आधुनिक भुगोल शास्त्र के अनुसार मक्का पूरे भूमण्डल का केंद्र है। इस लिये यह आश्चर्य की बात नहीं की क़ुर्आन इसी तथ्य की ओर संकेत कर रहा हो। सारांश यह है कि इस आयत में इस्लाम के विश्वव्यापि धर्म होने की ओर संकेत किया गया है। 2. इस से अभिप्राय प्रलय का दिन है जिस दिन कर्मों के प्रतिकार स्परूप एक पक्ष स्वर्ग में और एक पक्ष नरक में जायेगा।

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وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَجَعَلَهُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً وَلَٰكِن يُدْخِلُ مَن يَشَاءُ فِي رَحْمَتِهِ ۚ وَالظَّالِمُونَ مَا لَهُم مِّن وَلِيٍّ وَلَا نَصِيرٍ ﴾ 8 ﴿

Transliteration

व लौ शा- अल्लाहु ल-ज-अ़-लहुम् उम्म- तंव्- वाहि-दतंव्-व लाकिंय्युद्ख़िलु मंय्यशा-उ फ़ी रह्मतिही, वज़्ज़ालिमू-न मा लहुम् मिंव्वलिय्यिंव्-व ला नसीर

हिंदी अनुवाद

और यदि अल्लाह चाहता, तो सभी को एक समुदाय[1] बना देता। परन्तु, वह प्रवेश कराता है जिसे चाहे, अपनी दया में तथा अत्याचारियों का कोई संरक्षक तथा सहायक न होगा। 1. अर्थात एक ही सत्धर्म पर कर देता। किन्तु उस ने प्रत्येक को अपनी इच्छा से सत्य या असत्य को अपनाने की स्वाधीनता दे रखी है। और दोनों का परिणाम बता दिया है।

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أَمِ اتَّخَذُوا مِن دُونِهِ أَوْلِيَاءَ ۖ فَاللَّهُ هُوَ الْوَلِيُّ وَهُوَ يُحْيِي الْمَوْتَىٰ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ﴾ 9 ﴿

Transliteration

अमित्त – ख़ज़ू मिन् दूनिही औलिया-अ फ़ल्लाहु हुवल् वलिय्यु व हु-व युह्यिल्-मौता व हु-व अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर

हिंदी अनुवाद

क्या उन्होंने बना लिए हैं उसके सिवा संरक्षक? तो अल्लाह ही संरक्षक है और जीवित करेगा मुर्दों को और वही जो चाहे, कर सकता है।[1] 1. अतः उसी को संरक्षक बनाओ और उसी की आज्ञा का पालन करो।

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وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِيهِ مِن شَيْءٍ فَحُكْمُهُ إِلَى اللَّهِ ۚ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبِّي عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَإِلَيْهِ أُنِيبُ ﴾ 10 ﴿

Transliteration

व मख़्त-लफ़्तुम् फ़ीहि मिन् शैइन् फ़हुक्मुहू इलल्लाहि, ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बी अ़लैहि तवक्कल्तु व इलैहि उनीब

हिंदी अनुवाद

और जिस बात में भी तुमने विभेद किया है, उसका निर्णय अल्लाह ही को करना है।[1] वही अल्लाह मेरा पालनहार है, उसीपर मैंने भरोसा किया है तथा उसी की ओर ध्यानमग्न होता हूँ। 1. अतः उस का निर्णय अल्लाह की पुस्तक क़ुर्आन से तथा उस के रसूल की सुन्नत से लो।

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فَاطِرُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ جَعَلَ لَكُم مِّنْ أَنفُسِكُمْ أَزْوَاجًا وَمِنَ الْأَنْعَامِ أَزْوَاجًا ۖ يَذْرَؤُكُمْ فِيهِ ۚ لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ ۖ وَهُوَ السَّمِيعُ الْبَصِيرُ ﴾ 11 ﴿

Transliteration

फ़ातिरुस्समावाति वल्अर्ज़ि, ज-अ़-ल लकुम् मिन् अन्फ़ुसिकुम् अज़्वाजंव्-व मिनल्-अन्आ़मि अज़्वाजन् यज़्- रउकुम् फ़ीहि, लै-स कमिस्लही शैउन् व हुवस्समीअुल्-बसीर

हिंदी अनुवाद

वह आकाशों तथा धरती का रचयिता है। उसने बनाये हैं तुम्हारी जाति में से तुम्हारे जोड़े तथा पशुओं के जोड़े। वह फैला रहा है तुम्हें इस प्रकार। उसकी कोई प्रतिमा[1] नहीं और वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है। 1. अर्थात उस के अस्तित्व तथा गुण और कर्म में कोई उस के समान नहीं है। भावार्थ यह है कि किसी व्यक्ति या वस्तु में उस के गुण कर्म मानना या उसे उस का अंश मानना असत्य तथा अधर्म है।

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لَهُ مَقَالِيدُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَن يَشَاءُ وَيَقْدِرُ ۚ إِنَّهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ ‎ ﴾ 12 ﴿

Transliteration

लहू मक़ालीदुस्समावाति वल्अर्ज़ि यब्सुतुर्रिज़् क लिमंय्- यशा-उ व यक़्दिरु, इन्नहू बिकुल्लि शैइन् अ़लीम

हिंदी अनुवाद

उसी के[1] अधिकार में हैं आकाशों तथा धरती की कुंजियाँ। वह फैला देता है जीविका, जिसके लिए चाहे तथा नाप कर देता है। वास्तव में, वही प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है। 1. आयत संख्या 9 से 12 तक जिन तथ्यों की चर्चा है उन में एकेश्वरवाद तथा परलोक के प्रमाण प्रस्तुत किये गये हैं। और सत्य से विमुख होने वालों को चेतावनी दी गई है।

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شَرَعَ لَكُم مِّنَ الدِّينِ مَا وَصَّىٰ بِهِ نُوحًا وَالَّذِي أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ وَمَا وَصَّيْنَا بِهِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ وَعِيسَىٰ ۖ أَنْ أَقِيمُوا الدِّينَ وَلَا تَتَفَرَّقُوا فِيهِ ۚ كَبُرَ عَلَى الْمُشْرِكِينَ مَا تَدْعُوهُمْ إِلَيْهِ ۚ اللَّهُ يَجْتَبِي إِلَيْهِ مَن يَشَاءُ وَيَهْدِي إِلَيْهِ مَن يُنِيبُ ‎ ﴾ 13 ﴿

Transliteration

श र अ़ लकुम् मिनद्दीनि मा वस्सा बिही नूहंव्वल्लज़ी औहैना इलै-क व मा वस्सैना बिही इब्राही-म व मूसा व ईसा अन् अक़ीमुद्दीन व ला त-तफ़र्रक़ू फ़ीहि, कबु-र अ़लल् – मुश्रिकी – न मा तद्अूहुम् इलैहि, अल्लाहु यज्तबी इलैहि मंय्यशा-उ व यह्दी इलैहि मंय्युनीब

हिंदी अनुवाद

उसने नियत[1] किया है तुम्हारे लिए वही धर्म, जिसका आदेश दिया था नूह़ को और जिसे वह़्यी किया है आपकी ओर तथा जिसका आदेश दिया था इब्राहीम तथा मूसा और ईसा को कि इस धर्म की स्थापना करो और इसमें भेद भाव न करो। यही बात अप्रिय लगी है मुश्रिकों को, जिसकी ओर आप बुला रहे हैं। अल्लाह ही चुनता है इसके लिए जिसे चाहे और सीधी राह उसी को दिखाता है, जो उसी की ओर ध्यानमग्न हो। 1. इस आयत में पाँच नबियों का नाम ले कर बताया गया है कि सब को एक ही धर्म दे कर भेजा गया है। जिस का अर्थ यह है कि इस मानव संसार में अन्तिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तक जो भी नबी आये सभी की मूल शिक्षा एक रही है। कि एक अल्लाह को मानो और उसी एक की वंदना करो। तथा वैध-अवैध के विषय में अल्लाह ही के आदेशों का पालन करो। और अपने सभी धार्मिक तथा सामाजिक और राजनैतिक विवादों का निर्णय उसी के धर्म विधान के आधार पर करो। (देखियेः सूरह निसा, आयतः163-164)

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وَمَا تَفَرَّقُوا إِلَّا مِن بَعْدِ مَا جَاءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ إِلَىٰ أَجَلٍ مُّسَمًّى لَّقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۚ وَإِنَّ الَّذِينَ أُورِثُوا الْكِتَابَ مِن بَعْدِهِمْ لَفِي شَكٍّ مِّنْهُ مُرِيبٍ ﴾ 14 ﴿

Transliteration

व मा त- फ़र्रक़ू इल्ला मिम्-बअ्दि मा जा- अहुमुल्-अिल्मु बग़्यम् बैनहुम्, व लौ ला कलि-मतुन् स-बक़त् मिर्रब्बि-क इला अ-जलिम् मुसम्मल्-लक़ुज़ि-य बैनहुम्, व इन्नल्लज़ी-न ऊरिसुल्-किता-ब मिम्- बअ्दिहिम् लफ़ी शक्किम् – मिन्हु मुरीब

हिंदी अनुवाद

और उन्होंने[1] इसके पश्चात् ही विभेद किया, जब उनके पास ज्ञान आ गया, आपस के विरोध के कारण तथा यदि एक बात पहले से निश्चित[2] न होती आपके पालनहार की ओर से, तो अवश्य निर्णय कर दिया गया होता उनके बीच और जो पुस्तक के उत्तराधिकारी बनाये[3] गये उनके पश्चात्, उसकी ओर से संदेह में उलझे हुए हैं। 1. अर्थात मुश्रिकों ने। 2. अर्थात प्रलय के दिन निर्णय करने की। 3. अर्थात यहूदी तथा ईसाई भी सत्य में विभेद तथा संदेह कर रहे हैं।

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فَلِذَٰلِكَ فَادْعُ ۖ وَاسْتَقِمْ كَمَا أُمِرْتَ ۖ وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَاءَهُمْ ۖ وَقُلْ آمَنتُ بِمَا أَنزَلَ اللَّهُ مِن كِتَابٍ ۖ وَأُمِرْتُ لِأَعْدِلَ بَيْنَكُمُ ۖ اللَّهُ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ۖ لَنَا أَعْمَالُنَا وَلَكُمْ أَعْمَالُكُمْ ۖ لَا حُجَّةَ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمُ ۖ اللَّهُ يَجْمَعُ بَيْنَنَا ۖ وَإِلَيْهِ الْمَصِيرُ ﴾ 15 ﴿

Transliteration

फ़-लिज़ालि क फ़द्अु वस्तक़िम् कमा उमिर्-त व ला तत्तबिअ् अह्वा- अहुम् व क़ुल् आमन्तु बिमा अन्ज़-लल्लाहु मिन् किताबिन् व उमिर्तु लि-अअ्दि-ल बैनकुम्, अल्लाहु रब्बुना व रब्बुकुम्, लना अअ्मालुना व लकुम् अअ्मालुकुम्, ला हुज्ज-त बैनना व बैनकुम्, अल्लाहु यज्मअु बैनना व इलैहिल्-मसीर

हिंदी अनुवाद

तो आप लोगों को इसी धर्म की ओर बुलाते रहें तथा जैसे आपको आदेश दिया गया है उसपर स्थित रहें और उनकी इच्छाओं पर न चलें तथा कह दें कि मैं ईमान लाया उन सभी पुस्तकों पर, जो अल्लाह ने उतारी[1] हैं तथा मूझे आदेश दिया गया है कि तुम्हारे बीच न्याय करूँ। अल्लाह हमारा तथा तुम्हारा पालनहार है। हमारे लिए हमारे कर्म हैं तथा तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। हमारे और तुम्हारे बीच कोई झगड़ा नहीं। अल्लाह ही हमें एकत्र करेगा तथा उसी की ओर सब को जाना है।[2] 1. अर्थात सभी आकाशीय पुस्तकों पर जो नबियों पर उतारी गई हैं। 2. अर्थात प्रलय के दिन। फिर वह हमारे बीच निर्णय कर देगा।

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وَالَّذِينَ يُحَاجُّونَ فِي اللَّهِ مِن بَعْدِ مَا اسْتُجِيبَ لَهُ حُجَّتُهُمْ دَاحِضَةٌ عِندَ رَبِّهِمْ وَعَلَيْهِمْ غَضَبٌ وَلَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ﴾ 16 ﴿

Transliteration

वल्लज़ी-न युहाज्जू-न फ़िल्लाहि मिम्-बअ्दि मस्तुजी-ब लहू हुज्जतुहुम् दाहि-ज़तुन् अिन्-द रब्बिहिम् व अ़लैहिम् ग़-ज़बुंव् व लहुम् अ़ज़ाबुन् शदीद

हिंदी अनुवाद

तथा जो लोग झगड़ते हैं अल्लाह (के धर्म के बारे) में, जबकि उसे[1] मान लिया गया है। उनका विवाद (कुतर्क) असत्य है अल्लाह के समीप तथा उन्हीं पर क्रोध है और उन्हीं के लिए कड़ी यातना है। 1. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम), और इस्लाम धर्म को।

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اللَّهُ الَّذِي أَنزَلَ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ وَالْمِيزَانَ ۗ وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ قَرِيبٌ ﴾ 17 ﴿

Transliteration

अल्लाहुल्लज़ी अन्ज़लल्-किता-ब बिल्हक़्क़ि वल्मीज़ा-न व मा युद्री-क लअ़ल्लस्सा-अ़-त क़रीब

हिंदी अनुवाद

अल्लाह ही ने उतारी हैं सब पुस्तकें सत्य के साथ तथा तराजू[1] को और आपको क्या पता शायद प्रलय का समय समीप हो। 1. तराजू से अभिप्राय न्याय का आदेश है। जो क़ुर्आन द्वारा दिया गया है। (देखियेः सूरह ह़दीद, आयतः 25)

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يَسْتَعْجِلُ بِهَا الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِهَا ۖ وَالَّذِينَ آمَنُوا مُشْفِقُونَ مِنْهَا وَيَعْلَمُونَ أَنَّهَا الْحَقُّ ۗ أَلَا إِنَّ الَّذِينَ يُمَارُونَ فِي السَّاعَةِ لَفِي ضَلَالٍ بَعِيدٍ ‎ ﴾ 18 ﴿

Transliteration

यस्तअ्जिलु बि- हल्लज़ी-न ला युअ्मिनू-न बिहा वल्लज़ी-न आमनू मुश्फ़िक़ू-न मिन्हा व यअ्लमू-न अन्नहल्-हक़्क़ु, अला इन्नल्लज़ी-न युमारू न फ़िस्सा-अ़ति लफ़ी ज़लालिम् – बईद

हिंदी अनुवाद

शीघ्र माँग कर रहे हैं उस (प्रलय) की, जो ईमान नहीं रखते उसपर और जो ईमान लाये हैं, वे उससे डर रहे हैं तथा विश्वास रखते हैं कि वह सच है। सुनो! निश्चय जो विवाद कर रहे हैं, प्रलय के विषय में, वे कुपथ में बहुत दूर चले गये हैं।

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اللَّهُ لَطِيفٌ بِعِبَادِهِ يَرْزُقُ مَن يَشَاءُ ۖ وَهُوَ الْقَوِيُّ الْعَزِيزُ ‎ ﴾ 19 ﴿

Transliteration

अल्लाहु लतीफ़ुम् – बिअिबादिही यर्जुकु मंय्यशा-उ व हुवल्- क़विय्युल-अ़ज़ीज़

हिंदी अनुवाद

अल्लाह बड़ा दयालु है अपने भक्तों पर। वह जीविका प्रदान करता है, जिसे चाहे तथा वह बड़ा प्रबल, प्रभावशाली है।

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مَن كَانَ يُرِيدُ حَرْثَ الْآخِرَةِ نَزِدْ لَهُ فِي حَرْثِهِ ۖ وَمَن كَانَ يُرِيدُ حَرْثَ الدُّنْيَا نُؤْتِهِ مِنْهَا وَمَا لَهُ فِي الْآخِرَةِ مِن نَّصِيبٍ ﴾ 20 ﴿

Transliteration

मन् का-न युरीदु हर्सल् – आख़िरति नज़िद् लहू फ़ी हर्सिही व मन् का-न युरीदु हर्सद्दुन्या नुअ्तिही मिन्हा व मा लहू फ़िल्आख़िरति मिन् – नसीब

हिंदी अनुवाद

जो आख़िरत (परलोक) की खेती[1] चाहता हो, तो हम उसके लिए उसकी खेती बढ़ा देते हैं और जो संसार की खेती चाहता हो, तो हम उसे उसमें से कुछ दे देते हैं और उसके लिए परलोक में कोई भाग नहीं। 1. अर्थात जो अपने संसारिक सत्कर्म का प्रतिफल परलोक में चाहता है तो उसे उस का प्रतिफल में दस गुना से सात सौ गुना तक मिलेगा। और जो संसारिक फल का अभिलाषी हो तो जो उस के भाग्य में हो उसे उतना ही मिलेगा और प्रलोक में कुछ नहीं मिलेगा। (इब्ने कसीर)

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أَمْ لَهُمْ شُرَكَاءُ شَرَعُوا لَهُم مِّنَ الدِّينِ مَا لَمْ يَأْذَن بِهِ اللَّهُ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةُ الْفَصْلِ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۗ وَإِنَّ الظَّالِمِينَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ ‎ ﴾ 21 ﴿

Transliteration

अम् लहुम् शु-रका-उ श-रअू लहुम् मिनद्दीनि मा लम् यअ्ज़म्-बिहिल्लाहु व लौ ला कलि-मतुल्- फ़स्लि लक़ुज़ि-य बैनहुम् व इन्नज़्- ज़ालिमीन-न लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम

हिंदी अनुवाद

क्या इन (मुश्रिकों) के कुछ ऐसे साझी[1] हैं, जिन्होंने उनके लिए कोई ऐसा धार्मिक नियम बना दिया है, जिसकी अनुमति अल्लाह ने नहीं दी है? और यदि निर्णय की बात निश्चित न होती, तो (अभी) इनके बीच निर्णय कर दिया जाता तथा निश्चय अत्याचारियों के लिए ही दुःखदायी यातना है। 1. इस से अभिप्राय उन के वह प्रमुख हैं जो वैध-अवैध का नियम बनाते थे। इस में यह संकेत है कि धार्मिक जीवन विधान बनाने का अधिकार केवल अल्लाह को है। उस के सिवा दूसरों के बनाये हुये धार्मिक जीवन विधान को मानना और उस का पालन करना शिर्क है।

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تَرَى الظَّالِمِينَ مُشْفِقِينَ مِمَّا كَسَبُوا وَهُوَ وَاقِعٌ بِهِمْ ۗ وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فِي رَوْضَاتِ الْجَنَّاتِ ۖ لَهُم مَّا يَشَاءُونَ عِندَ رَبِّهِمْ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيرُ ‎ ﴾ 22 ﴿

Transliteration

तरज़्ज़ालिमी-न मुश्फ़िक़ी -न मिम्मा क-सबू व हु-व वाक़िअुम् बिहिम्, वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति फ़ी रौज़ातिल्-जन्नाति लहुम्-मा यशाऊ-न अिन्- द रब्बिहिम्, ज़ालि-क हुवल् फ़ज़्लुल्-कबीर

हिंदी अनुवाद

तुम अत्याचारियों को डरते हुए देखोगो उन दुष्कर्मों के कारण, जो उन्होंने किये हैं और वह उनपर आकर रहेगा तथा जो ईमान लाये और सदाचार किये, वे स्वर्ग के बागों में होंगे। वे जिसकी इच्छा करेंगे उनके पालनहार के यहाँ मिलेगा। ये बड़ी दया है।

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ذَٰلِكَ الَّذِي يُبَشِّرُ اللَّهُ عِبَادَهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ ۗ قُل لَّا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا إِلَّا الْمَوَدَّةَ فِي الْقُرْبَىٰ ۗ وَمَن يَقْتَرِفْ حَسَنَةً نَّزِدْ لَهُ فِيهَا حُسْنًا ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ شَكُورٌ ﴾ 23 ﴿

Transliteration

ज़ालिकल्लज़ी युबश्शिरुल्लाहु अिबा-दहुल् -लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति, कुल्-ला अस्- अलुकुम् अ़लैहि अज्रन् इल्लल्-म-वद्द -त फ़िल्-र्क़ुबा, व मंय्-यक़्तरिफ़् ह-स- नतन् नज़िद् लहू फ़ीहा हुस्नन्, इन्नल्ला-ह ग़फ़ूरुन् शकूर

हिंदी अनुवाद

ये वह (दया) है, जिसकी शुभ सूचना देता है अल्लाह अपने भक्तों को, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये। आप कह दें कि मैं नहीं माँगता हूँ इसपर तुमसे कोई बदला, उस प्रेम के सिवा, जो संबन्धियों[1] में (होता) है। 1. भावार्थ यह है कि मक्का वासियो! यदि तुम सत्धर्म पर ईमान नहीं लाते हो तो मुझे इस का प्रचार तो करने दो। मुझ पर अत्याचार न करो। तुम सभी मेरे संबन्धी हो इस लिये मेरे साथ प्रेम का व्यवहार करो। (सह़ीह़ बुख़ारीः4818)

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أَمْ يَقُولُونَ افْتَرَىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا ۖ فَإِن يَشَإِ اللَّهُ يَخْتِمْ عَلَىٰ قَلْبِكَ ۗ وَيَمْحُ اللَّهُ الْبَاطِلَ وَيُحِقُّ الْحَقَّ بِكَلِمَاتِهِ ۚ إِنَّهُ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ ﴾ 24 ﴿

Transliteration

अम्यक़ूलूनफ़्तरा अ़लल्लाहि कज़िबन् फ़-इंय्य-श-इल्लाहु यख़्तिम् अ़ला क़ल्बि-क, व यम्हुल्लाहुल्-बाति-ल व युहिक़्क़ुल्-हक़्-क़ बि-कलिमातिही, इन्नहू अ़लीमुम् – बिज़ातिस्सुदूर

हिंदी अनुवाद

क्या वे कहते हैं कि उसने अल्लाह पर झूठ घड़ लिया है? तो यदि अल्लाह चाहे, तो आपके दिल पर मुहर लगा दे।[1] और अल्लाह मिटा देता है झूठ को और सच को अपने आदेशों द्वारा सच कर दिखाता है। वह सीनों (दिलों) के भेदों का जानने वाला है। 1. अर्थ यह है कि हे नबी! इन्हों ने आप को अपने जैसा समझ लिया है जो अपने स्वार्थ के झूठ का सहारा लेते हैं। किन्तु अल्लाह ने आप के दिल पर मुहर नहीं लगाई है जैसे इन के दिलों पर लगा रखी है।

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وَهُوَ الَّذِي يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَعْفُو عَنِ السَّيِّئَاتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُونَ ﴾ 25 ﴿

Transliteration

व हुवल्लज़ी यक़्बलुत्तौ-ब-त अ़न् अिबादिही व यअ्फू अ़निस्सय्यिआति व यअ्लमु मा तफ़्अ़लून

हिंदी अनुवाद

वही है, जो स्वीकार करता है अपने भक्तों की तौबा तथा क्षमा करता है दोषों[1] को और जानता है, जो कुछ तुम करते हो। 1. तौबा का अर्थ है अपने पाप पर लज्जित होना फिर उसे न करने का संकल्प लेना। ह़दीस में है कि जब बंदा अपना पाप स्वीकार कर लेता है। और फिर तौबा करता है तो अल्लाह उसे क्षमा कर देता है। (सह़ीह बुख़ारीः 4141, सह़ीह़ मुस्लिमः 2770)

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وَيَسْتَجِيبُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَيَزِيدُهُم مِّن فَضْلِهِ ۚ وَالْكَافِرُونَ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ﴾ 26 ﴿

Transliteration

व यस्तजीबुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति व यज़ीदुहुम् – मिन् फज़्लिही, वल्काफ़िरू-न लहुम् अ़ज़ाबुन् शदीद

हिंदी अनुवाद

और उनकी प्रार्थना स्वीकार करता है, जो ईमान लाये और सदाचार किये तथा उन्हें अधिक प्रदान करता है अपनी दया से और काफ़िरों ही के लिए कड़ी यातना है।

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وَلَوْ بَسَطَ اللَّهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهِ لَبَغَوْا فِي الْأَرْضِ وَلَٰكِن يُنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا يَشَاءُ ۚ إِنَّهُ بِعِبَادِهِ خَبِيرٌ بَصِيرٌ ﴾ 27 ﴿

Transliteration

व लौ ब – सतल्लाहुर्रिज़्-क़ लिअिबादिही ल-बग़ौ फिल्अर्ज़ि व लाकिंय्-युनज़्ज़िलु बि-क-दरिम्-मा यशा-उ, इन्नहू बिअिबादिही ख़बीरुम्-बसीर

हिंदी अनुवाद

और यदि फैला देता अल्लाह जीविका अपने भक्तों के लिए, तो वे विद्रोह[1] कर देते धरती में। परन्तु, वह उतारता है एक अनुमान से जैसे वह चाहता है। वास्तव में, वह अपने भक्तों से भली-भाँति सूचित है। (तथा) उन्हें देख रहा है। 1. अर्थात यदि अल्लाह सभी को सम्पन्न बना देता तो धरती में अवज्ञा और अत्याचार होने लगता और कोई किसी के आधीन न रहता।

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وَهُوَ الَّذِي يُنَزِّلُ الْغَيْثَ مِن بَعْدِ مَا قَنَطُوا وَيَنشُرُ رَحْمَتَهُ ۚ وَهُوَ الْوَلِيُّ الْحَمِيدُ ﴾ 28 ﴿

Transliteration

व हुवल्लज़ी युनज़्ज़िलुल्- ग़ै-स मिम्बअ्दि मा क़-नतू व यन्शुरु रह्म-तहू, व हुवल् वलिय्युल्- हमीद

हिंदी अनुवाद

तथा वही है, जो वर्षा करता है इसके पश्चात् कि लोग निराश हो जायें तथा फैला[1] देता है अपनी दया और वही संरक्षक, सराहनीय है। 1. इस आयत में वर्षा को अल्लाह की दया कहा गया है। क्यों कि इस से धरती में उपज होती है जो अल्लाह के अधिकार में है। इसे नक्षत्रों का प्रभाव मानना शिर्क है।

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وَمِنْ آيَاتِهِ خَلْقُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَثَّ فِيهِمَا مِن دَابَّةٍ ۚ وَهُوَ عَلَىٰ جَمْعِهِمْ إِذَا يَشَاءُ قَدِيرٌ ﴾ 29 ﴿

Transliteration

व मिन् आयातिही ख़ल्क़ुस्समावाति वल्अर्ज़ि व मा बस्-स फ़ीहिमा मिन् दाब्बतिन्, व हु-व अ़ला जम्अिहिम् इज़ा यशा- उ क़दीर

हिंदी अनुवाद

तथा उसकी निशानियों में से है, आकाशों और धरती की उत्पत्ति तथा जो फैलायें हैं उन दोनों में जीव और वह उन्हें एकत्र करने पर जब चाहे,[1] सामर्थ्य रखने वाला है। 1. अर्थात प्रलय के दिन।

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وَمَا أَصَابَكُم مِّن مُّصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَن كَثِيرٍ ﴾ 30 ﴿

Transliteration

व मा असाबकुम् मिम्- मुसी-बतिन् फ़बिमा क-सबत् ऐदीकुम् व यअ्फू अ़न् कसीर

हिंदी अनुवाद

और जो भी दुःख तुम्हें पहुँचता है, वह तुम्हारे अपने करतूत से पहुचता है तथा वह क्षमा कर देता है तुम्हारे बहुत-से पापों को।[1] 1. देखिये सूरह फ़ातिर, आयतः 45

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وَمَا أَنتُم بِمُعْجِزِينَ فِي الْأَرْضِ ۖ وَمَا لَكُم مِّن دُونِ اللَّهِ مِن وَلِيٍّ وَلَا نَصِيرٍ ﴾ 31 ﴿

Transliteration

व मा अन्तुम् बिमुअ्जिज़ी-न फ़िल्अर्ज़ि व मा लकुम् मिन् दूनिल्लाहि मिंव्वलिय्यिंव्-व ला नसीर

हिंदी अनुवाद

और तुम विवश करने वाले नहीं हो धरती में और न तुम्हारा अल्लाह के सिवा कोई संरक्षक और न सहायक है।

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وَمِنْ آيَاتِهِ الْجَوَارِ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ ﴾ 32 ﴿

Transliteration

व मिन् आयातिहिल्-जवारि फ़िल्-बह्-रि कल्- अअ्लाम

हिंदी अनुवाद

तथा उसके (सामर्थ्य) की निशानियों में से हैं चलती हुई नाव सागरों में, पर्वतों के समान।

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إِن يَشَأْ يُسْكِنِ الرِّيحَ فَيَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلَىٰ ظَهْرِهِ ۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُورٍ ﴾ 33 ﴿

Transliteration

इंय्य-शय् युस्किनिर्-री-ह फ़-यज़्लल्-न रवाकि-द अ़ला ज़ह्-रिही, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् लिकुल्लि सब्बारिन् शकूर

हिंदी अनुवाद

यदि वह चाहे, तो रोक दे वायु को और वह खड़ी रह जायें उसके ऊपर। निश्चय इसमें बड़ी निशानियाँ हैं प्रत्येक बड़े धैर्यवान[1] कृतज्ञ के लिए। 1. अर्थात जो अल्लाह की आज्ञापालन पर स्थित रहे।

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أَوْ يُوبِقْهُنَّ بِمَا كَسَبُوا وَيَعْفُ عَن كَثِيرٍ ﴾ 34 ﴿

Transliteration

औ यूबिक़्हुन्-न बिमा क-सबू व यअ्फ़ु अ़न् कसीर

हिंदी अनुवाद

अथवा विनाश[1] कर दे उन (नावों) का, उनके करतूतों के बदले और वह क्षमा करता है बहुत कुछ। 1. उन के सवारों को उन के पापों के कारण डुबो दे।

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وَيَعْلَمَ الَّذِينَ يُجَادِلُونَ فِي آيَاتِنَا مَا لَهُم مِّن مَّحِيصٍ ﴾ 35 ﴿

Transliteration

व यअ् -ल-मल्लज़ी-न युजादिलू-न फ़ी आयातिना, मा लहुम् मिम्-महीस

हिंदी अनुवाद

तथा वह जानता है उन्हें, जो झगड़ते हैं हमारी आयतों में। उन्हीं के लिए कोई भागने का स्थान नहीं है।

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فَمَا أُوتِيتُم مِّن شَيْءٍ فَمَتَاعُ الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۖ وَمَا عِندَ اللَّهِ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ لِلَّذِينَ آمَنُوا وَعَلَىٰ رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُونَ ﴾ 36 ﴿

Transliteration

फ़मा ऊतीतुम् मिन् शैइन् फ़-मताअुल्- हयातिद्-दुन्या व मा अिन्दल्लाहि ख़ैरुंव्-व अब्क़ा लिल्लज़ी-न आमनू व अ़ला रब्बिहिम् य- तवक्कलून

हिंदी अनुवाद

तुम्हें जो कुछ दिया गया है, वह सांसारिक जीवन का संसाधन है तथा जो कुछ अल्लाह के पास है, वह उत्तम और स्थायी[1] है उनके लिए, जो अल्लाह पर ईमान लाये तथा अपने पालनहार ही पर भरोसा रखते हैं। 1. अर्थ यह है कि संसारिक साम्यिक सुख को परलोक के स्थायी जीवन तथा सुख पर प्राथमिक्ता न दो।

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وَالَّذِينَ يَجْتَنِبُونَ كَبَائِرَ الْإِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَإِذَا مَا غَضِبُوا هُمْ يَغْفِرُونَ ﴾ 37 ﴿

Transliteration

वल्लज़ी-न यज्तनिबू-न कबा-इरल्-इस्मि वल्फ़्वाहि-श व इज़ा मा ग़ज़िबू हुम् यग़्फ़िरून

हिंदी अनुवाद

तथा जो बचते हैं बड़े पापों तथा निर्लज्जा के कर्मों से और जब क्रोध आ जाये तो क्षमा कर देते हैं।

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وَالَّذِينَ اسْتَجَابُوا لِرَبِّهِمْ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَأَمْرُهُمْ شُورَىٰ بَيْنَهُمْ وَمِمَّا رَزَقْنَاهُمْ يُنفِقُونَ ﴾ 38 ﴿

Transliteration

वल्लज़ीनस्तजाबू लिरब्बिहिम् व अक़ामुस्सला-त व अम्रुहुम् शूरा बैनहुम् व मिम्मा रज़क़् नाहुम् युन्फ़िक़ून

हिंदी अनुवाद

तथा जिन्होंने अपने पालनहार के आदेश को मान लिया, स्थापना की नमाज़ की और उनके प्रत्येक कार्य आपस के विचार-विमर्श से होते हैं[1] और जो कुछ हमने उन्हें प्रदान किया है उसमें से दान करते हैं। 1. इस आयत में ईमान वालों का एक उत्तम गुण बताया गया है कि वह अपने प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य परस्पर प्रामर्श से करते हैं। सूरह आले इमरान आयतः 159 में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को आदेश दिया गया है कि आप मुसलमानों से प्रामर्श करें। तो आप सभी महत्वपूर्ण कार्यों में उन से प्रामर्श करते थे। यही नीति तत्पश्चात् आदरणीय ख़लीफ़ा उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने भी अपनाई। जब आप घायल हो गये और जीवन की आशा न रही तो अपने छः व्यक्तियों को नियुक्त कर दिया कि वह आपस के प्रामर्श से शासन के लिये किसी एक को निर्वाचित कर लें। और उन्हों ने आदरणीय उस्मान (रज़ियल्लाहु अन्हु) को शासक निर्वाचित कर लिया। इस्लाम पहला धर्म है जिस ने प्रामर्शिक व्यवस्था की नींव डाली। किन्तु यह परामर्श केवल देश का शासन चलाने के विषयों तक सीमित है। फिर भी जिन विषयों में क़ुर्आन तथा ह़दीस की शिक्षायें मौजूद हों उन में किसी प्रामर्श की आशयक्ता नहीं है।

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وَالَّذِينَ إِذَا أَصَابَهُمُ الْبَغْيُ هُمْ يَنتَصِرُونَ ﴾ 39 ﴿

Transliteration

वल्लज़ी-न इज़ा असा-बहुमुल्-बग़्यु हुम् यन्तसिरून

हिंदी अनुवाद

और यदि उनपर अत्याचार किया जाये, तो वे बराबरी का बदला लेते हैं।

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وَجَزَاءُ سَيِّئَةٍ سَيِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۖ فَمَنْ عَفَا وَأَصْلَحَ فَأَجْرُهُ عَلَى اللَّهِ ۚ إِنَّهُ لَا يُحِبُّ الظَّالِمِينَ ‎ ﴾ 40 ﴿

Transliteration

व जज़ा-उ सिय्य अतिन् सय्यि-अतुम्-मिस्लुहा फ़-मन् अ़फ़ा व अस्ल ह फ़-अज्-रूहू अ़लल्लाहि, इन्नहू ला युहिब्बुज़्-ज़ालिमीन

हिंदी अनुवाद

और बुराई का प्रतिकार (बदला) बुराई है, उसी जैसी।[1] फिर जो क्षमा कर दे तथा सुधार करले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के ऊपर है। वास्तव में, वह प्रेम नहीं करता है अत्याचारियों से। 1. इस आयत में बुराई का बदला लेने की अनुमति दी गई है। बुराई का बदला यद्पि बुराई नहीं, बल्कि न्याय है फिर भी बुराई के समरूप होने का कारण उसे बुराई ही कहा गया है।

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وَلَمَنِ انتَصَرَ بَعْدَ ظُلْمِهِ فَأُولَٰئِكَ مَا عَلَيْهِم مِّن سَبِيلٍ ﴾ 41 ﴿

Transliteration

व ल-मनिन्त-स-र बअ् -द ज़ुल्मिही फ़-उलाइ-क मा अ़लैहिम् मिन् सबील

हिंदी अनुवाद

तथा जो बदला लें अपने ऊपर अत्याचार होने के पश्चात्, तो उनपर कोई दोष नहीं है।

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إِنَّمَا السَّبِيلُ عَلَى الَّذِينَ يَظْلِمُونَ النَّاسَ وَيَبْغُونَ فِي الْأَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّ ۚ أُولَٰئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ ﴾ 42 ﴿

Transliteration

इन्नमस्सबीलु अ़लल्लज़ी-न यज़्लिमूनन्ना-स व यब्ग़ू-न फ़िल्अर्ज़ि बिग़ैरिल्-हक़्क़ि, उलाइ-क लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम

हिंदी अनुवाद

दोष केवल उनपर है, जो लोगों पर अत्याचार करते हैं और नाह़क़ ज़मीन में उपद्रव करते हैं। उन्हीं के लिए दर्दनाक यातना है।

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وَلَمَن صَبَرَ وَغَفَرَ إِنَّ ذَٰلِكَ لَمِنْ عَزْمِ الْأُمُورِ ‎ ﴾ 43 ﴿

Transliteration

व ल-मन् स-ब-र व ग़-फ़-र इन्-न ज़ालि-क लमिन् अ़ज़्मिल्-उमूर

हिंदी अनुवाद

और जो सहन करे तथा क्षमा कर दे, तो ये निश्चय बड़े साहस[1] का कार्य है। 1. इस आयत में क्षमा करने की प्रेरणा दी गई है कि यदि कोई अत्याचार कर दे तो उसे सहन करना और क्षमा कर देना और सामर्थ्य रखते हुये उस से बदला न लेना ही बड़ी सुशीलता तथा साहस की बात है जिस की बड़ी प्रधानता है।

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وَمَن يُضْلِلِ اللَّهُ فَمَا لَهُ مِن وَلِيٍّ مِّن بَعْدِهِ ۗ وَتَرَى الظَّالِمِينَ لَمَّا رَأَوُا الْعَذَابَ يَقُولُونَ هَلْ إِلَىٰ مَرَدٍّ مِّن سَبِيلٍ ﴾ 44 ﴿

Transliteration

व मंय्युज़्लिलिल्लाहु फ़मा लहू मिंव्- वलिय्यिम् – मिम्-बअ्दिही, व तरज़ू – ज़ालिमी न लम्मा र अवुल् – अ़ज़ा-ब यक़ूलू-न हल् इला मरद्दिम् – मिन् सबील

हिंदी अनुवाद

तथा जिसे अल्लाह कुपथ कर दे, तो उसका कोई रक्षक नहीं है, उसके पश्चात तथा आप देखेंगे अत्याचारियों को जब वे देखेंगे यातना को, वे कह रहे होंगेः क्या वापसी की कोई राह है?[1] 1. ताकि संसार में जा कर ईमान लायें और सदाचार करें तथा परलोक की यातना से बच जायें।

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وَتَرَاهُمْ يُعْرَضُونَ عَلَيْهَا خَاشِعِينَ مِنَ الذُّلِّ يَنظُرُونَ مِن طَرْفٍ خَفِيٍّ ۗ وَقَالَ الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّ الْخَاسِرِينَ الَّذِينَ خَسِرُوا أَنفُسَهُمْ وَأَهْلِيهِمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ أَلَا إِنَّ الظَّالِمِينَ فِي عَذَابٍ مُّقِيمٍ ﴾ 45 ﴿

Transliteration

व तराहुम् युअ्-रज़ू-न अ़लैहा ख़ाशिई-न मिनज़्ज़ुल्लि यन्ज़ुरू -न मिन् तर्फिन् ख़ाफ़िय्यन्, व क़ालल्लज़ी-न आमनू इन्नल्- ख़ासिरीनल्लज़ी-न ख़सिरू अन्फ़ु-सहुम् व अह्लीहिम् यौमल्- क़ियामति, अला इन्नज़्ज़ालिमी-न फ़ी अ़ज़ाबिम्-मुक़ीम

हिंदी अनुवाद

तथा आप उन्हें देखेंगे कि वे प्रस्तुत किये जा रहे हैं नरक पर, सिर झुकाये, अपमान के कारण। वे देख रहे होंगे कन्खियों से तथा कहेंगे जो ईमान लाये कि वास्तव में घाटे में वही हैं, जिन्होंने घाटे में डाल दिया स्वयं को तथा अपने परिवार को, प्रलय के दिन। सुनो! अत्याचारी ही स्थायी यातना में होंगे।

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وَمَا كَانَ لَهُم مِّنْ أَوْلِيَاءَ يَنصُرُونَهُم مِّن دُونِ اللَّهِ ۗ وَمَن يُضْلِلِ اللَّهُ فَمَا لَهُ مِن سَبِيلٍ ﴾ 46 ﴿

Transliteration

व मा का-न लहुम् मिन् औलिया-अ यन्सुरूनहुम् मिन् दूनिल्लाहि, व मंय्युज़्लिलिल्लाहु फ़मा लहू मिन् सबील

हिंदी अनुवाद

तथा नहीं होंगे उनके कोई सहायक, जो अल्लाह के मुक़ाबले में उनकी सहायता करें और जिसे कुपथ कर दे अल्लाह, तो उसके लिए कोई मार्ग नहीं।

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اسْتَجِيبُوا لِرَبِّكُم مِّن قَبْلِ أَن يَأْتِيَ يَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهُ مِنَ اللَّهِ ۚ مَا لَكُم مِّن مَّلْجَإٍ يَوْمَئِذٍ وَمَا لَكُم مِّن نَّكِيرٍ ﴾ 47 ﴿

Transliteration

इस्तजीबू लि- रब्बिकुम् मिन् क़ब्लि अंय्यअ्ति-य यौमुल् ला मरद्-द लहू मिनल्लाहि मा लकुम् मिम्- मल्ज – इंय्यौमइजिंव्-व मा लकुम् मिन्-नकीर

हिंदी अनुवाद

मान लो अपने पालनहार की बात, इससे पूर्व कि आ जाये वह दिन, जिसे टलना नहीं है अल्लाह की ओर से। नहीं होगा तुम्हारे लिए कोई शरण का स्थान, उस दिन और न छिपकर अनजान बन जाने का।

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فَإِنْ أَعْرَضُوا فَمَا أَرْسَلْنَاكَ عَلَيْهِمْ حَفِيظًا ۖ إِنْ عَلَيْكَ إِلَّا الْبَلَاغُ ۗ وَإِنَّا إِذَا أَذَقْنَا الْإِنسَانَ مِنَّا رَحْمَةً فَرِحَ بِهَا ۖ وَإِن تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ فَإِنَّ الْإِنسَانَ كَفُورٌ ‎ ﴾ 48 ﴿

Transliteration

फ़-इन् अअ्-रज़ू फ़मा अर्सल्ना-क अ़लैहिम् हफ़ीज़न्, इन् अ़लै-क इल्लल्-बलाग़ु, व इन्ना इज़ा अज़क़्नल-इन्सा-न मिन्ना रह्म-तन् फ़रि-ह बिहा व इन् तुसिब्हुम् सय्यि-अतुम् बिमा क़द्द-मत् ऐदीहिम् फ़-इन्नल्-इन्सा-न कफ़ूर

हिंदी अनुवाद

फिर भी यदि वे विमुख हों, तो (हे नबी!) हमने नहीं भेजा है आपको उनपर रक्षक बनाकर। आपका दायित्व केवल संदेश पहुँचा देना है और वास्तव में, जब हम चखा देते हैं मनुष्य को अपनी दया, तो वह इतराने लगता है, उसपर और यदि पहुँचता है उन्हें कोई दुःख, उनके करतूत के कारण, तो मनुष्य बड़ा कृतघ्न बन जाता है।

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لِّلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ ۚ يَهَبُ لِمَن يَشَاءُ إِنَاثًا وَيَهَبُ لِمَن يَشَاءُ الذُّكُورَ ‎ ﴾ 49 ﴿

Transliteration

लिल्लाहि मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि, यख़्लुक़ु मा यशा-उ, य-हबु लिमंय्यशा-उ इनासंव्-व य-हबु लिमंय्यशा-उज़्-ज़ुकूर

हिंदी अनुवाद

अल्लाह ही का है आकाशों तथा धरती का राज्य। वह पैदा करता है, जो चाहता है। जिसे चाहे, पुत्रियाँ प्रदान करता है तथा जिसे चाहे, पुत्र प्रदान करता है।

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أَوْ يُزَوِّجُهُمْ ذُكْرَانًا وَإِنَاثًا ۖ وَيَجْعَلُ مَن يَشَاءُ عَقِيمًا ۚ إِنَّهُ عَلِيمٌ قَدِيرٌ ﴾ 50 ﴿

Transliteration

औ युज़ब्विजुहुम् ज़ुक्रानंव्-व इनासन् व यज्अ़लु मंय्यशा-उ अ़क़ीमन्, इन्नहू अ़लीमुन् क़दीर

हिंदी अनुवाद

अथवा उन्हें पुत्र और[1] पुत्रियाँ मिलाकर देता है और जिसे चाहे, बाँझ बना देता है। वास्तव में, वह सब कुछ जानने वाला (तथा) सामर्थ्य रखने वाला है। 1. इस आयत में संकेत है कि पुत्र-पुत्री माँगने के लिये किसी पीर, फ़क़ीर के मज़ार पर जाना उन को अल्लाह की शक्ति में साझी बनाना है। जो शिर्क है। और शिर्क ऐसा पाप है जिस के लिये बिना तौबा के कोई क्षमा नहीं।

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وَمَا كَانَ لِبَشَرٍ أَن يُكَلِّمَهُ اللَّهُ إِلَّا وَحْيًا أَوْ مِن وَرَاءِ حِجَابٍ أَوْ يُرْسِلَ رَسُولًا فَيُوحِيَ بِإِذْنِهِ مَا يَشَاءُ ۚ إِنَّهُ عَلِيٌّ حَكِيمٌ ﴾ 51 ﴿

Transliteration

व मा का-न लि-ब-शरिन् अंय्युकल्लि-महुल्लाहु इल्ला वह्यन् औ मिंव्वरा-इ हिजाबिन् औ युर्सि-ल रसूलन् फ़यूहि-य बि-इज़्निही मा यशा-उ, इन्न्हू अ़लिय्युन् हकीम

हिंदी अनुवाद

और नहीं संभव है किसी मनुष्य के लिए कि बात करे अल्लाह उससे, परन्तु वह़्यी[1] द्वारा, अथवा पर्दे के पीछे से अथवा भेज दे कोई रसूल (फ़रिश्ता), जो वह़्यी करे उसकी अनुमति से, जो कुछ वह चाहता हो। वास्तव में, वह सबसे ऊँचा (तथा) सभी गुण जानने वाला है। 1. वह़्यी का अर्थ, संकेत करना या गुप्त रूप से बात करना है। अर्थात अल्लाह अपने रसूलों को आदेश और निर्देश इस प्रकार देता है, जिसे कोई दूसरा व्यक्ति सुन नहीं सकता। जिस के तीन रूप होते हैं: प्रथमः रसूल के दिल में सीधे अपना ज्ञान भर दे। दूसराः पर्दे के पीछे से बात करें, किन्तु वह दिखाई न दे। तीसराः फ़रिश्ते द्वारा अपनी बात रसूल तक गुप्त रूप से पहुँचा दे। इन में पहले और तीसरे रूप में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास वह़्यी उतरती थी। (सह़ीह़ बुख़ारीः 2)

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وَكَذَٰلِكَ أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ رُوحًا مِّنْ أَمْرِنَا ۚ مَا كُنتَ تَدْرِي مَا الْكِتَابُ وَلَا الْإِيمَانُ وَلَٰكِن جَعَلْنَاهُ نُورًا نَّهْدِي بِهِ مَن نَّشَاءُ مِنْ عِبَادِنَا ۚ وَإِنَّكَ لَتَهْدِي إِلَىٰ صِرَاطٍ مُّسْتَقِيمٍ ﴾ 52 ﴿

Transliteration

व कज़ालि-क औहैना इलै-क रूहम्-मिन् अम्रिना, मा कुन्-त तद्री मल्किताबु व लल्-ईमानु व लाकिन् ज- अ़ल्नाहु नूरन् – नह्दी बिही मन् नशा-उ मिन् अिबादिना, व इन्न- क ल-तह्दी इला सिरातिम्-मुस्तक़ीम

हिंदी अनुवाद

और इसी प्रकार, हमने वह़्यी (प्रकाशना) की है, आपकी ओर, अपने आदेश की रूह़ (क़ुर्आन)। आप नहीं जानते थे कि पुस्तक क्या है और ईमान[1] क्या है। परन्तु, हमने इसे बना दिया एक ज्योति। हम मार्ग दिखाते हैं इसके द्वारा, जिसे चाहते हैं अपने भक्तों में से और वस्तुतः, आप सीधी राह[1] दिखा रहे हैं। 1. मक्का वासियों को यह आश्चर्य था कि मनुष्य अल्लाह का नबी कैसे हो सकता है? इस पर क़ुर्आन बता रहा है कि आप नबी होने से पहले न तो किसी आकाशीय पुस्तक से अवगत थे और न कभी ईमान की बात ही आप के विचार में आई। और यह दोनों बातें ऐसी थीं जिन का मक्कावासी भी इन्कार नहीं कर सकते थे। और यही आप का अज्ञान होना आप के सत्य नबी होने का प्रमाण है। जिसे क़ुर्आन की अनेक आयतों में वर्णित किया गया है। 2. सीधी राह से अभिप्राय सत्धर्म इस्लाम है।

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صِرَاطِ اللَّهِ الَّذِي لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۗ أَلَا إِلَى اللَّهِ تَصِيرُ الْأُمُورُ ﴾ 53 ﴿

Transliteration

सिरातिल्लाहिल्लज़ी लहू मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल्अर्ज़ि, अला इलल्लाहि तसीरुल्-उमूर*

हिंदी अनुवाद

अल्लाह की राह, जिसके अधिकार में है, जो कुछ आकाशों में तथा जो कुछ धरती में है। सावधान! अल्लाह ही की ओर फिरते हैं, सभी कार्य।

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