Browsing Tag

Verse of the day

111. सूरह अल-लहब

5/5

सूरह तब्बत के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 5 आयतें हैं।

  • इस की आयत 1 में (तब्बत) शब्द आने के कारण इस का नाम (सूरह तब्बत) है। जिस का अर्थ तबाह होना है।[1]

1. यह सूरह आरंभिक मक्की सूरतों में से है। इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है कि जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को यह आदेश दिया गया कि आप समीप वर्ती संबंधियों को अल्लाह से डरायें, तो आप सफा “पहाड़ी” पर गये, और पुकाराः “हाय भोर की आपदा!” यह सुन कर कुरैश के सभी परिवार जन एकत्र हो गये| तब आप ने कहाः यदि मैं तुम से कहूँ कि इस पर्वत के पीछे एक सेना है जो तुम पर आक्रमण करने को तैयार है तो तुम मेरी बात मानोगे? सब ने कहाः हाँ। हम ने कभी आप से झूठ नहीं आजमाया। आप ने फरमायाः मैं तुम्हें आग (नर्क) की बडी यातना से सावधान करता है। इस पर किसी के कुछ बोलने से पहले आप के चचा “अबु लहब” ने कहाः तुम्हारा सत्यानास हो! क्या हमें इसी लिये एकत्र किया है? और एक रिवायत यह भी है कि उस ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मारने के लिये पत्थर उठाया, इसी पर यह सरह उतारी गई। (देखियेः सहीह बुख़ारीः 4971, और सहीह मुस्लिमः 208)

  • आयत 1 से 3 तक में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के शत्रु अबू लहब के बुरे परिणाम से सूचित किया गया है।
  • आयत 4 और 5 में उस की पत्नी के शिक्षाप्रद परिणाम का दृश्य दिखाया गया है जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बैर रखने में अपने पति के साथ थी।
  • हदीस में है कि जब नबी (सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम) को आदेश दिया गया कि आप अपने समीप के परिजनों को डरायें तो आप ने सफा (पर्वत) पर चढ़ कर पुकारा| और जब सब आ गये, तो कहाः यदि मैं तुम से कहें कि इस पर्वत के पीछे एक सेना है जो तुम पर सवेरे या संध्या को धावा बोल देगी तो तुम मानोगे? सब ने कहाः हाँ। हम ने कभी आप को झूठ बोलते नहीं देखा। आप ने कहाः मैं तुम्हें अपने सामने की दुःखदायी यातना से डरा रहा हूँ। इस पर अबू जहल ने कहाः तुम्हारा नाश हो। क्या इसी लिये हम को एकत्र किया है। इसी पर यह सूरह अवतरित हुई। (सहीह बुख़ारीः 4971)

Tabbat Yada Surah Lahab in Hindi

Play

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

Play

تَبَّتْ يَدَا أَبِي لَهَبٍ وَتَبَّ ﴾ 1 ﴿

तब्बत यदा अबी लहबिव वतब्ब

अबू लहब के दोनों हाथ नाश हो गये और वह स्वयं भी नाश हो गया![1] 1. अबू लहब का अर्थ ज्वाला मुखी है। वह अति सुन्दर और गोरा था। उस का नाम वास्तव में 'अब्दुल उज़्ज़ा' था, अर्थात उज़्ज़ा का भक्त और दास। 'उज़्ज़ा' उन की एक देवी का नाम था। परन्तु वह अबू लहब के नाम से जाना जाता था। इस लिये क़ुर्आन ने उस का यही नाम प्रयोग किया है और इस में उस के नरक की ज्वाला में पड़ने का संकेत भी है।

Play

مَا أَغْنَىٰ عَنْهُ مَالُهُ وَمَا كَسَبَ ﴾ 2 ﴿

मा अगना अन्हु मलुहू वमा कसब

उसका धन तथा जो उसने कमाया उसके काम नहीं आया।

Play

سَيَصْلَىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ ﴾ 3 ﴿

सयसला नारन ज़ात लहब

वह शीघ्र लावा फेंकती आग में जायेगा।[1] 1. (1-2) यह आयतें उस की इस्लाम को दबाने की योजना के विफल हो जाने की भविष्यवाणी हैं। और संसार ने देखा कि अभी इन आयतों के उतरे कुछ वर्ष ही हुये थे कि 'बद्र' की लड़ाई में मक्के के बड़े बड़े वीर प्रमुख मारे गये। और 'अबू लहब' को इस खबर से इतना दुःख हुआ कि इस के सातवें दिन मर गया। और मरा भी ऐसे कि उसे मलगिनानत पुसतुले (प्लेग जैसा कोई रोग) की बामारी लग गई। और छूत के भय से उसे अलग फेंक दिया गया। कोई उस के पास नहीं जाता था। मृत्यु के बाद भी तीन दिन तक उस का शव पड़ा रहा। और जब उस में गंध होने लगी तो उसे दूर से लकड़ी से एक गढ़े में डाल दिया गया। और ऊपर से मिट्टी और पत्थर डाल दिये गये। और क़ुर्आन की यह भविष्यवाणी पूरी हुई। और जैसा कि आयत संख्या 2 में कहा गया उस का धन और उस की कमाई उस के कुछ काम नहीं आई। उस की कमाई से उद्देश्य अधिक्तर भाष्यकारों ने 'उस की संतान' लिया है। जैसा कि सह़ीह ह़दीसों में आया है कि तुम्हारी संतान तुम्हारी उत्तम कमाई है।

Play

وَامْرَأَتُهُ حَمَّالَةَ الْحَطَبِ ﴾ 4 ﴿

वम रअतुहू हम्मा लतल हतब

तथा उसकी पत्नी भी, जो ईंधन लिए फिरती है।

Play

فِي جِيدِهَا حَبْلٌ مِّن مَّسَدٍ ﴾ 5 ﴿

फिजीदिहा हब्लुम मिम मसद

उसकी गर्दन में मूँज की रस्सी होगी।[1] 1. (1-5) अबू लहब की पत्नी का नाम 'अरवा' था। और उस की उपाधि (कुनियत) 'उम्मे जमील' थी। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शत्रुता में किसी प्रकार कम न थी। लकड़ी लादने का अर्थ भाष्यकारों ने अनेक किया है। परन्तु इस का अर्थ उस को अपमानित करना है। या पापों का बोझ लाद रखने के अर्थ में है। वह सोने का हार पहनती थी और 'लात' तथा 'उज़्ज़ा' की शपथ ले कर -यह दोनों उन की देवियों के नाम हैं- कहा करती थीं कि मुह़म्मद के विरोध में यह मूल्यवान हार भी बेच कर खर्च कर दूँगी। अतः यह कहा गया है कि आज तो वह एक धन्यवान व्यक्ति की पत्नी है। उस के गले में बहुमूल्य हार पड़ा हुआ है परन्तु अख़िरत में वह ईंधन ढोने वाली लोंडी की तरह होगी। गले में आभूषण के बदले बटी हुई मूँज की रस्सी पड़ी होगी। जैसी रस्सी ईंधन ढोने वाली लोंडियों के गले में पड़ी होती है। और इस्लाम का यह चमत्कार ही तो है कि जिस 'अबु लहब' और उस की पत्नी ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से शत्रुता की उन्हीं की औलाद 'उत्बा', 'मुअत्तब' तथा 'दुर्रह' ने इस्लमा स्वीकार कर लिया।

112. सूरह अल-इख़लास

5/5

सूरह इख्लास के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 4 आयतें हैं।

  • इख्लास का अर्थ है अल्लाह की शुद्ध इबादत (वंदना) करना| इसी का दूसरा नाम तौहीद (अद्वैत) है, इस सूरह में तौहीद का वर्णन है, इसी लिये इस का यह नाम है। [1]

1. यह सूरह मक्की सूरतों में से है। यद्यपि इस के उतरने से संबंधित रिवायत से लगता है कि यह सूरह मदीने में उस समय उतरी जब मदीने के यहूदियों ने आप से प्रश्न किया कि बताइये कि वह पालनहार कैसा है जिस ने आप को भेजा है। या यह कि “नजरान” के ईसाईयों ने इसी प्रकार का प्रश्न किया कि वह कैसा है, और किस धातु का बना हुआ है। तो यह सूरह उतरी। परन्तु सब से पहले यह प्रश्न स्वयं मक्का वासियों ने ही किया था। इसलिये इसे मक्का में उतरने वाली आरम्भिक सूरतों में गणना किया जाता है। इस का नाम “सूरह इख्लास” है। इख्लास का अर्थ है: अल्लाह पर ऐसे ईमान लाना कि उस के अस्तित्व और गुणों में किसी की साझेदारी की कोई आभा (झलक) न पाई जाये। और इसी को तौहीदे खालिस (निर्मल ऐकेश्वरवाद) कहते हैं। जहाँ तक अल्लाह को मानने की बात है तो संसार ने सदा उस को माना है परन्तु वास्तव में इस मानने में ऐसा मिश्रण भी किया है कि मानना और न मानना दोनों बराबर हो कर रह गये हैं। तौहीद को उजागर करने के लिये अल्लाह ने बराबर नबी भेजे परन्तु इन्सान बार बार इस तथ्य को खोता रहा। आदरणीय इबराहीम (अलैहिस्सलाम) ने तौहीद (ऐकेश्वरवाद) के लिये प्रस्थान किया, और अपने परिवार को एक बंजर वादी में बसाया कि वह मात्र एक अल्लाह की पूजा करेंगे। परन्तु उन्हीं के वंशज ने उन के बनाये तौहीद के केन्द्र अल्लाह के घर काबा को एक देव स्थल में बदल दिया। तथा अपने बनाये हुये देवताओं का अधिकार माने बिना अल्लाह के अधिकार को स्वीकार करने के लिये तैयार न थे। यह स्थिति मात्र मक्का वासियों की न थी, ईसाई और यहूदी भी यद्यपि तौहीद के दावेदार थे फिर भी उन के यहाँ तीन पूज्यों: पिता, पुत्र और पविगात्मा के योग से तौहीद बनी थी। यहदियों के यहाँ भी अल्लाह का पुत्रः उजैर अवश्य था। कहीं पूज्य एक तो था परन्तु बहुत से देवी देवता भी उस के साथ पूज्य थे। (देखियेः उम्मुल किताब)

  • इस की आयत 1, 2 में अल्लाह के सकारात्मक गुणों को और आयत 3,4 में नकारात्मक गुणों को बताया गया है ताकि धर्मों और जातियों में जिस राह से शिर्क आया है उसे रोका जा सके। हदीस में है कि अल्लाह ने कहा कि मनुष्य ने मुझे झुठला दिया। और यह उस के लिये योग्य नहीं था। ओर मझे गाली दी. और यह उस के लिये योग्य नहीं था। उस का मझे झुठलाना उस का यह कहना है कि अल्लाह ने जैसे मुझे प्रथम बार पैदा किया है दोबारा नहीं पैदा कर सकेगा। जब कि प्रथम बार पैदा करना मेरे लिये दोबारा पैदा करने से सरल नहीं था। और उस का मुझे गाली देना यह है कि उस ने कहा कि अल्लाह के संतान है। जब कि मैं अकेला निर्पेक्ष हूँ। न मेरी कोई संतान है और न मैं किसी की संतान हूँ। और न कोई मेरा समकक्ष है। (सहीह बुख़ारी- 4974)
  • सहीह हदीस में है कि यह सूरह तिहाई कुरआन के बराबर है। (सहीह बुख़ारीः 5015, सहीह मुस्लिमः 811) एक दूसरी हदीस में है कि एक व्यक्ति ने कहा कि, हे अल्लाह के रसूल! मैं इस सूरह से प्रेम करता हूँ। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः तुम्हें इस का प्रेम स्वर्ग में प्रवेश करा देगा। (सहीह बुख़ारीः 774)

Surah Ikhlas in Hindi

Play

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

Play

قُلْ هُوَ اللَّـهُ أَحَدٌ ﴾ 1 ﴿

कुल हुवल लाहू अहद

(हे ईश दूत!) कह दोः अल्लाह अकेला है।[1] 1. आयत संख्या 1 में 'अह़द' शब्द का प्रयोग हुआ है जिस का अर्थ है, उस का अस्तित्व एवं गुणों में कोई साझी नहीं है। यहाँ 'अह़द' शब्द का प्रयोग यह बताने के लिये किया गया है कि वह अकेला है। वह वृक्ष के समान एक नहीं है जिस की अनेक शाखायें होती हैं। आयत संख्या 2 में 'समद' शब्द का प्रयोग हुआ है जिस का अर्थ है अब्रण होना। अर्थात जिस में कोई छिद्र न हो जिस से कुछ निकले, या वह किसी से निकले। और आयत संख्या 3 इसी अर्थ की व्याख्या करती है कि न उस की कोई संतान है और न वह किसी की संतान है।

Play

اللَّـهُ الصَّمَدُ ﴾ 2 ﴿

अल्लाहुस समद

अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है

Play

لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ ﴾ 3 ﴿

लम यलिद वलम यूलद

न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है।

Play

وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ ﴾ 4 ﴿

वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

और न उसके बराबर कोई है।[1] 1. इस आयत में यह बताया गया है कि उस की प्रतिमा तथा उस के बराबर और समतुल्य कोई नहीं है। उस के कर्म, गुण और अधिकार में कोई किसी रूप में बराबर नहीं। न उस की कोई जाति है न परिवार। इन आयतों में क़ुर्आन उन विषयों को जो जातियों के तौह़ीद से फिसलने का कारण बने उसे अनेक रूप में वर्णित करता है। और देवियों और देवताओं के विवाहों और उन के पुत्र और पौत्रों का जो विवरण देव मालाओं में मिलता है क़ुर्आन ने उसी का खण्डन किया है।

113. सूरह अल-फलक़

4.7/5

सूरह फलक के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 5 आयतें हैं।

  • इस की प्रथम आयत में ((फ़लक़ )) शब्द आने के कारण, जिस का अर्थ भोर है, इस का यह नाम रखा गया है।
  • सूरह “फलक” और सूरह “नास” को मिला कर “मुअव्वजतैन” कहा जाता है।
    जब यह दोनों सूरतें उतरी तो नबी सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम ने फरमायाः आज की रात्री में मुझ पर कुछ ऐसी आयतें उतरी हैं जिन के समान मैं ने कभी नहीं देखी। (मुस्लिमः 814)
  • इसी प्रकार इब्ने आबिस जहनी (रजियल्लाह अन्ह) से आप ने फरमाया कि: मैं तुम्हें उत्तम यंत्र न बताऊँ जिस के द्वारा शरण (पनाह) मांगी जाती है। और आप ने यह दोनों सूरतें बतायीं, और कहा कि यह “मुअव्वज़तैन” अर्थात शरण मांगने के लिये दो सूरतें हैं। (देखियेः सहीह नसई: 5020)
  • जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर जादू किया गया जिस का प्रभाव यह हुआ कि आप घुलते जा रहे थे, किसी काम को सोचते कि कर लिया है, और किया नहीं होता था, किसी वस्तु को देखा है जब कि देखा नहीं होता था। परन्तु जादू का यह प्रभाव आप के व्यक्तिगत जीवन तक ही सीमित था। एक दिन नबी (सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम) अपनी पत्नी “आइशा” (रजियल्लाह अन्हा) के पास थे कि सो गये, और जागे तो उन को बताया की दो व्यक्ति (फरिश्ते) मेरे पास आये, एक सिराहने की ओर था. और दसरा पैताने की ओर एक ने पूछाः इन्हें क्या हुआ है। दूसरे ने उत्तर दियाः इन पर जादू हआ है| उस ने पछाः किस ने किया है। उत्तर दियाः “लबीद बिन आसम” ने पूछा: किस वस्तु में किया है। उत्तर दियाः कंघी, बाल और नर खजूर के खोशे में। पूछाः वह कहाँ है। उत्तर दियाः बनी रैक के कुवें की तह में पत्थर के नीचे है। इस के बाद आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अली, अम्मार और जुबैर (रजियल्लाहु अन्हुम) को भेजा, फिर आप भी वहाँ आ गये, पानी निकाला गया, फिर जादू जिस में कंघी के दाँतों और बालों के साथ एक ताँत में ग्यारह गाँठ लगी हुई थीं। और मोम का एक पुतला था जिस में सुईयाँ चुभोई हुई थीं। आदर्णीय जिबील (अलैहिस्सलाम) ने आ कर बताया किः आप “मुअव्वज़तैन” पढ़ें। और जैसे जैसे आप पढ़ते जा रहे थे उसी के साथ एक एक गाँठ खुलती और पुतले से एक एक सुई निकलती जा रही थी, और अन्त के साथ ही आप जादू से इस प्रकार निकल गये जैसे कोई बंधा हुआ खुल जाता है।
  • इस की आयत 1 में यह शिक्षा दी गई है कि शरण उस से मांगो जिस के पालनहार होने की निशानी तुम रात दिन देख रहे हो।
  • आयत 2 से 5 तक में यह बताया गया है कि किन चीज़ों की बुराई से शरण मांगनी चाहिये।
  • हदीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा कि इस रात मुझ पर कुछ ऐसी आयतें अवतरित हुई हैं जिन के समान आयतें कभी नहीं देखी गईं। वह यह सूरह, और इस के पश्चात् की सूरह है। (सहीह मुस्लिमः 814)

Surah Falaq in Hindi

Play

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

Play

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴾ 1 ﴿

कुल अऊजु बिरब्बिल फलक

(हे नबी!) कहो कि मैं भोर के पालनहार की शरण लेता हूँ।

Play

مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴾ 2 ﴿

मिन शर रिमा ख़लक़

हर उसकी बुराई से, जिसे उसने पैदा किया।

Play

وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴾ 3 ﴿

वामिन शर रिग़ासिकिन इज़ा वकब

तथा रात्रि की बुराई से, जब उसका अंधेरा छा जाये।[1] 1. (1-3) इन में संबोधित तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को किया गया है, परन्तु आप के माध्यम से पूरे मुसलमानों के लिये संबोधन है। शरण माँगने के लिये तीन बातें ज़रूरी हैं: (1) शरण माँगाना। (2) जो शरण माँगता हो। (3) जिस के भय से शरण माँगी जाती हो और अपने को उस से बचाने के लिये दूसरे की सुरक्षा और शरण में जाना चाहता हो। फिर शरण वही माँगता है जो यह सोचता है कि वह स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकता। और अपनी रक्षा के लिये वह ऐसे व्यक्ति या अस्तित्व की शरण लेता है जिस के बारे में उस का विश्वास होता है कि वह उस की रक्षा कर सकता है। अब स्वभाविक नियमानुसार इस संसार में सुरक्षा किसी वस्तु या व्यक्ति से प्राप्त की जाती है जैसे धूप से बचने के लिये पेड़ या भवन आदि की। परन्तु एक खतरा वह भी होता है जिस से रक्षा के लिये किसी अनदेखी शक्ति से शरण माँगी जाती है जो इस विश्व पर राज करती है। और वह उस की रक्षा अवश्य कर सकती है। यही दूसरे प्रकार की शरण है जो इन जो इन दोनों सूरतों में अभिप्रेत है। और क़ुर्आन में जहाँ भी अल्लाह की शरण लेने की चर्चा है उस का अर्थ यही विशेष प्रकार की शरण है। और यह तौह़ीद पर विश्वास का अंश है। ऐसे ही शरण के लिये विश्वासहीन देवी देवताओं इत्यादि को पुकारना शिर्क और घोर पापा है।

Play

وَمِن شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ ﴾ 4 ﴿

वमिन शर रिन नफ़फ़ासाति फ़िल उक़द

तथा गाँठ लगाकर उनमें फूँकने वालियों की बुराई से।

Play

وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَِ ﴾ 5 ﴿

वमिन शर रिहासिदिन इज़ा हसद

तथा द्वेष करने वाले की बुराई से, जब वह द्वेष करे।[1] 1. (4-5) इन दोनों आयतों में जादू और डाह की बुराई से अल्लाह की शरण में आने की शिक्षा दी गई है। और डाह ऐसा रोग है जो किसी व्यक्ति को दूसरों को हानि पहुँचाने के लिये तैयार कर देता है। और आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर भी जादू डाह के कारण ही किया गया था। यहाँ ज्ञातव्य है कि इस्लाम ने जादू को अधर्म कहा है जिस से इन्सान के परलोक का विनाश हो जाता है।

114. सूरह अन-नास

5/5

सूरह नास के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 6 आयतें हैं।

  • इस में पाँच बार ((नास)) शब्द आने के कारण इस का यह नाम है। जिस का अर्थ इन्सान है।
  • इस की आयत 1 से 3 तक शरण देने वाले के गुण बताये गये हैं।
  • आयत 4 में जिस की बुराई से पनाह (शरण) मांगी गई है उस के घातक शत्रु होने से सावधान किया गया है।
  • आयत 5 में बताया गया है कि वह इन्सान के दिल पर आक्रमण करता है।
  • आयत 6 में सावधान किया गया है कि यह शत्र जिन्न तथा इन्सान दोनों में होते हैं।
  • हदीस में है कि नबी (सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम) हर रात जब बिस्तर पर जाते तो सूरह इख्लास और यह और इस के पहले की सूरह (अर्थातः फलक) पढ़ कर अपनी दोनों हथेलियाँ मिला कर उन पर फूंकते, फिर जितना हो सके दोनों को अपने शरीर पर फेरते। सिर से आरंभ करते और फिर आगे के शरीर से गुज़ारते। ऐसा आप तीन बार करते थे| (सहीह बुख़ारी: 6319, 5748)

Surah Naas in Hindi

Play

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

Play

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ ﴾ 1 ﴿

कुल अऊजु बिरब्बिन नास

(हे नबी!) कहो कि मैं इन्सानों के पालनहार की शरण में आता हूँ।

Play

مَلِكِ النَّاسِ ﴾ 2 ﴿

मलिकिन नास

जो सारे इन्सानों का स्वामी है।

Play

إِلَـٰهِ النَّاسِ ﴾ 3 ﴿

इलाहिन नास

जो सारे इन्सानों का पूज्य है।[1] 1. (1-3) यहाँ अल्लाह को उस के तीन गुणों के साथ याद कर के उस की शरण लेने की शिक्षा दी गई है। एक उस का सब मानव जाति का पालनहार और स्वामी होना। दूसरे उस का सभी इन्सानों का अधिपति और शासक होना। तीसरे उस का इन्सानों का सत्य पूज्य होना। भावार्थ यह है कि उस अल्लाह की शरण माँगता हूँ जो इन्सानों का पालनहार, शासक और पूज्य होने के कारण उन पर पूरा नियंत्रण और अधिकार रखता है। जो वास्तव में उस बुराई से इन्सानों को बचा सकता है जिस से स्वयं बचने और दूसरों को बचाने में सक्षम है उस के सिवा कोई है भी नहीं जो शरण दे सकता हो।

Play

مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ ﴾ 4 ﴿

मिन शर रिल वसवा सिल खन्नास

भ्रम डालने वाले और छुप जाने वाले (राक्षस) की बुराई से।

Play

الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ ﴾ 5 ﴿

अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास

जो लोगों के दिलो में भ्रम डालता रहता है।

Play

مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ ﴾ 6 ﴿

मिनल जिन्नति वन नास

जो जिन्नों में से है और मनुष्यों में से भी।[1] 1. (4-6) आयत संख्या 4 में 'वस्वास' शब्द का प्रयोग हुआ है। जिस का अर्थ है दिलों में ऐसी बुरी बातें डान देना कि जिस के दिल में डाली जा रही हों उसे उस का ज्ञान भी न हो। और इसी प्रकार आयत संख्या 4 में 'ख़न्नास' का शब्द प्रोग हुआ है। जिस का अर्थ है सुकड़ जाना, छुप जाना, पीछे हट जाना, धीरे धीरे किसी को बुराई के लिये तैयार करना आदि। अर्थात दिलों में भ्रम डालने वाला, और सत्य के विरुध्द मन में बुरी भावनायें उत्पन्न करने वाला। चाहे वह जिन्नों में से हो, अथवा मनुष्यों में से हो। इन सब की बुराईयों से हम अल्लाह की शरण लेते हैं जो हमारा स्वामी और सच्चा पूज्य है।